ओमिक्रॉन की दहशत के बीच कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन ने दिया दस्तक, जानें कितना खतरनाक है नया वायरस
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना के दो वेरिएंट (डेल्टा और ओमिक्रॉन) से मिलकर बनने वाला नया वेरिएंट (डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन) के खतरे क्या होंगे?
Omicron Variant in India : दुनिया भर में नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत के बीच कोरोना के नए वेरिएंट ने दस्तक दे दिया है. शोधकर्ताओं ने इसका नाम डेल्टाक्रॉन दिया है. ओमिक्रॉन को अब तक सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट बताया जा रहा है, जबकि डेल्टा वेरिएंट ने साल 2021 में कई देशों में तबाही मचाई थी. अब ओमिक्रॉन और डेल्टा से मिलकर एक नया वेरिएंट तैयार हुआ है. कुछ शोधार्थी इसे डेल्मिक्रॉन नाम दे रहे हैं, तो कुछ इसे डेल्टाक्रॉन कर रहे हैं.
ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना के दो वेरिएंट (डेल्टा और ओमिक्रॉन) से मिलकर बनने वाला नया वेरिएंट (डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन) के खतरे क्या होंगे? एक शोधार्थी ने कोरोना के नए स्ट्रेन डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन का पता लगाया है. इस शोधार्थी का यह दावा है कि साइप्रस में डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन करीब 25 मरीज पाए गए हैं.
साइप्रस में नए वेरिएंट के मिले 25 मामले
साइप्रस के इस शोधकर्ता ने इसी सप्ताह जीआईएसएआईडी के जरिए अपने निष्कर्ष भेजे हैं. जीआईएसएआई एक अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस है, जो वायरस को ट्रैक करता है. इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साइप्रस में डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन के करीब 25 मामले मिले हैं. हालांकि, किसी भी देश ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है. साइप्रस विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी और मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी की प्रयोगशाला के प्रमुख डॉ लियोनडिओस कोस्त्रिकिस ने अपने दावे में कहा है कि अस्पताल में भर्ती संक्रमितों के बीच म्यूटेशन की फ्रीक्वेंसी अधिक थी और यह नए वैरिएंट और अस्पताल में भर्ती होने के बीच संबंध की इशारा करता है.
नए वेरिएंट से चिंता करने की जरूरत नहीं
डॉ लियोनडिओस कोस्त्रिकिस ने अपने दावे में इस बात पर भी जोर दिया है कि इस नए वेरिएंट का जेनेटिक बैकग्राउंड डेल्टा के जैसा ही है. इसके साथ ही इसमें ओमिक्रॉन के कुछ म्यूटेशन पाए गए हैं. साइप्रस के स्वास्थ्य मंत्री मिखलिस हदीपेंटेलस ने कहा कि नए वेरिएंट को लेकर फिलहाल किसी भी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
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नया वेरिएंट नहीं
डेल्टाक्रॉन या डेल्मिक्रॉन पर कुछ वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि यह कोई नया वैरिएंट नहीं है. इसमें वायरस के फाइलोजेनेटिक ट्री पर ट्रेस या प्लॉट नहीं किया जा सकता है. वहीं, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी एंड वायरोलॉजी के प्रोफेसर सुनीत के सिंह ने कहा कि यह एक आरएनए वायरस की प्रकृति में है. जैसे कि सार्स-कोव-2 विशेष रूप से उत्परिवर्तित करने के लिए एक श्वसन प्रकृति का है, जबकि हमें कई उत्परिवर्तन मिल सकते हैं, इसके पुनः संयोजक रूपों को संसाधित करने की आवश्यकता होती है. यह इतना खतरनाक साबित नहीं होगा.