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NAS 2021: महामारी ने बच्चों की शिक्षा पर डाला असर, 38 प्रतिशत छात्रों को घर पर पढ़ाई करने में हुई परेशानी

घर पर पढ़ाई करने में 45 प्रतिशत छात्रों के लिये घर पर पढ़ना आनंददायक रहा जबकि 38 प्रतिशत छात्रों को घर पर पढ़ाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. वहीं, महामारी के दौरान 24 प्रतिशत छात्रों को घर पर कोई डिजिटल उपकरण उपलब्ध नहीं हुए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2022 10:56 PM

कोरोना वायरस महामारी के दौरान घर पर पढ़ाई करने में 45 प्रतिशत छात्रों के लिये घर पर पढ़ना आनंददायक रहा जबकि 38 प्रतिशत छात्रों को घर पर पढ़ाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. वहीं, महामारी के दौरान 24 प्रतिशत छात्रों को घर पर कोई डिजिटल उपकरण उपलब्ध नहीं हुए. शिक्षा मंत्रालय (ministry of education) की राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 (NAS 2021 ) में यह बात सामने आई है.

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7 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थित

सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत छात्रों को घर और स्कूल में पढ़ाई करने में कोई अंतर नहीं महसूस हुआ. इस अवधि में 78 प्रतिशत छात्रों के लिये काफी एसाइनमेंट मिलना बोझ का कारण बन गया. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 87 प्रतिशत स्कूलों ने अभिभावकों को यह बताया कि बच्चों को पठन पाठन में कैसे सहयोग करें. वहीं, 7 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की बात भी सामने आई.

स्कूलों में नहीं है पर्याप्त जगह

सर्वेक्षण में 17 प्रतिशत स्कूलों में कक्षा में पर्याप्त जगह की कमी की बात सामने आई. मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 का आयोजन शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने किया था. इसका मकसद तीसरी, पांचवी, आठवीं एवं दसवीं कक्षा के छात्रों के पठन पाठन एवं सीखने सहित स्कूली शिक्षा प्रणाली की स्थिति का मूल्यांकन करना था. इस सर्वेक्षण में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के 1.18 लाख स्कूलों के 34 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया.

क्या हैं एनएएस रिपोर्ट के मायने

कोविड महामारी के चलते स्कूल बंद करने पड़ गए थे और इससे विभिन्न स्तरों पर शिक्षा बाधित हुई थी. स्कूलों के बंद होने का छात्रों की शिक्षा पर असर का मूल्यांकन करने के लिए लॉकडाउन से पहले और बाद में शिक्षा व्यवस्था को आकलन राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के द्वारा किया गया. सर्वेक्षण रिपोर्ट में न सिर्फ ज्ञान संबंधी शिक्षा बल्कि अन्य कौशलों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जो बच्चे महामारी के दौरान घर पर रहते हुए सीख सकते थे.

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