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दिल्ली एम्स निदेशक ने कहा, आम लोगों के लिए वैक्सीन को लांच कर देना चाहिए.

वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हुआ देश में दो कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की इजाजत मिल गयी है. दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इसे बेहद खास दिन बताते हुए कहा, देश के लिए यह बहुत बड़ा दिन है. साल की शुरुआत का यह अच्छा तरीका है. दोनों वैक्सीन का निर्माण भारत में ही हुआ है. हमें जल्द ही इस वैक्सीन को लांच कर देना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2021 4:56 PM
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वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हुआ देश में दो कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की इजाजत मिल गयी है. दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इसे बेहद खास दिन बताते हुए कहा, देश के लिए यह बहुत बड़ा दिन है. साल की शुरुआत का यह अच्छा तरीका है. दोनों वैक्सीन का निर्माण भारत में ही हुआ है. हमें जल्द ही इस वैक्सीन को लांच कर देना चाहिए.

वैक्सीन की सुरक्षा और इसकी मंजूरी की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हमारे लिए सबसे अहम है सुरक्षा, सुरक्षा ही सर्वोपरि है. वैक्सीन कोई चरणों से होकर गुजरती है इंसान पर तभी इसका उपयोग किया जाता है जब लंबे रिसर्च के बाद इसे सुरक्षित माना जाये. सभी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही इसे मंजूरी दी जाती है.

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रणदीप गुलेरिया ने कहा, अगर मामलों में अचानक वृद्धि होती है तो हमें तुरंत टीका लगाना होगा तो ऐसे मौके पर भारत बायोटेक की वैक्सीन का ही इस्तेमाल होगा. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में ही वैक्सीन का निर्माण किया है, ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की थी. भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर ‘कोवैक्सीन’ तैयार किया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वैक्सीन की इजाजत मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया ‘‘वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की जंग में एक निर्णायक क्षण. सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटक के टीकों को डीसीजीआई की मंजूरी से एक स्वस्थ और कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा. इस मुहिम में जी-जान से जुटे वैज्ञानिकों-इनोवेटर्स को शुभकामनाएं और देशवासियों को बधाई.’’

प्रधानमंत्री मोदी ने एक और ट्वीट किया और लिखा, ‘‘यह गर्व की बात है कि जिन दो वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है, वे दोनों मेड इन इंडिया हैं. यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है. वह आत्मनिर्भर भारत, जिसका आधार है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया.’’

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