नयी दिल्ली : देश में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत जनवरी से ही हो गयी है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन लोगों को सरकार की ओर से मुफ्त में लगाये जा रहे हैं. वैक्सीन खरीद के लिए केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. वैक्सीन की कीमतों को लेकर कहा गया था कि उत्पादन बढ़ने के बाद कीमते कम होंगी, लेकिन वैक्सीन की कीमत और बढ़ गयी.
केंद्र सरकार ने पहले घोषणा की थी की कुल उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार खरीदेगी. वहीं 25 फीसदी राज्यों और 25 फीसदी प्राइवेट अस्पतालों को खरीदने की छूट दी गयी थी. वहीं, 21 जून से शुरू हुए टीकाकरण के तीसरे चरण में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 18 प्लस के सभी नागरिकों को केंद्र सरकार मुफ्त में टीके लगवायेगी. इसके लिए केंद्र उत्पादन का 75 फीसदी हिस्सा खरीदेगी.
शुरुआत में फार्मा कंपनियों और केंद्र सरकार के बीच तय हुआ था कि सरकार कोविशील्ड की एक खुराक 200 रुपये और कोवैक्सीन की एक खुराक 206 रुपये में खरीदेगी. कंपनियों ने बाद में कीमतें कम करने का भरोसा दिया था. लेकिन छह महीने बाद अब सरकार को कोविशील्ड के लिए 205 रुपये और कोवैक्सीन के लिए 215 रुपये प्रति डोज चुकाने पड़ रहे हैं.
यानी सरकार को अब कोविशील्ड वैक्सीन की एक शीशी के लिए 50 रुपये अधिक देने पड़ रहे हैं. वहीं, कोवैक्सीन के लिए सरकार का हर शीशी 180 रुपये ज्यादा देने पड़ रहे हैं. कोविशील्ड की एक शीशी में 10 डोज और कोवैक्सीन की एक शीशी में 20 डोज होते हैं. केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की 37.5 करोड़ डोज और कोवैक्सीन की 28.5 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है.
केंद्र सरकार ने जून महीने में प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की कीमतें तय की थी. सरकार की ओर से तय की गयी कीमतों के अनुसार प्राइवेट अस्पताल 780 रुपये में कोविशील्ड की एक खुराक लगायेंगे. कोवैक्सीन की एक डोज के लिए प्राइवेट अस्पताल अधिकतम 1410 रुपये वसूल सकते हैं. वहीं रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V की कीमत 1145 रुपये तय की गयी है.
Posted By: Amlesh Nandan.