कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज में हो 16 हफ्ते तक का अंतराल, अमेरिकी एक्सपर्ट ने भी किया फैसले का समर्थन

भारत में जो हालात हैं उसके लिए ज्यादा जरूरी है. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना यही कारण है कि वैक्सीन के बीच के फासले को बढ़ाकर भारत ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने का काम कर रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2021 9:08 AM
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दो वैक्सीन के बीच की समय सीमा को बढ़ाना यह जिम्मेदारी भरा फैसला है क्योंकि भारत में सभी लोगों को वैक्सीन मिलनी चाहिए. व्हाइट हाउस के चीफ मेडिकल एडवाइजर और अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फौसी ने भारत के फैसले की तारीफ करते हुए कहा है.

भारत में जो हालात हैं उसके लिए ज्यादा जरूरी है. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना यही कारण है कि वैक्सीन के बीच के फासले को बढ़ाकर भारत ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने का काम कर रहा है.

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यह बातें उन्होंने एएनआई को दिये एक इंटरव्यू में कही, उन्होंने भारत के संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर भी पहले टिप्पणी की थी जिसमें कहा था कि भारत ने कोरोना संक्रमण की इस वेब को हल्के में लिया और कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म होने से पहले ही देश के कड़े प्रतिबंधों में ढील दे दी जिसका परिणाम आज भारत को भुगतना पड़ रहा है.

कल यानि बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि कोविशील्ड के दूसरे वैक्सीनेशन का वक्त बढ़ाकर अब 12 से 16 सप्ताह कर दिया है. पहले यह छह से आठ सप्ताह था. यह तीन महीने में दूसरी बार है जब सरकार ने दूसरे डोज की वैक्सीन की अवधि बढ़ायी है. इस बार फिर सरकार के इस फैसले की आलोचना की जा रही है.

इस मामले पर डॉ. एंथनी फौसी का मानना है कि दूसरे डोज के बीच का समय बढ़ाना स्वास्थ्य के आधार पर भी लाभदायक रहेगा. उनका मानना है कि अगर आप दूसरे डोज की वैक्सीन के बीच का अंतर बढ़ा देंगे तो इसके निगेटिव इफेक्ट की संभावना भी काफी कम हो जायेगी. उन्होंने कहा कि मैं आपके पास वैक्सीन नहीं है इस उद्देश्य से यह बात नहीं कह रहा हूं.

उन्होंने भारत को यह भी सलाह दी कि रूस से आयी वैक्सीन का अगले सप्ताह से इस्तेमाल शुरू होना चाहिए. इस वक्त भारत के पास तीन- तीन वैक्सीन है जिससे लोगों को मदद मिल सकती है. डॉ. फौसी ने कहा, मैंने इस वैक्सीन के बारे में सुना है यह ज्यादा कारगर है, असरदार है. डॉ. एंथनी फौसी ने मौजूदा स्थिति पर कहा कि कभी- कभी हालात से निपटने के लिए निजी क्षेत्र उतने कारगर नहीं होते जितनी सेना होती है.

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अमेरिका ने यह बात सीखी है. भारत में जिस तरह के हालात हैं. स्थिति नियंत्रण में नहीं हैस, अस्पतालो में बिस्तर की कमी है ऐसे मौके से देश की सेना मुकाबला कर सकती है. कभी- कभी अच्छे परिणामों के लिए इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए. भारत में संक्रमण अपने पीक पर है फिलहाल निकट भविष्य में यात्रा पहले की तरह बहाल करने की संभावना नजर नहीं आती.

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