Coronavirus vaccine news, Human Trial, Uttar Pradesh : भारत (India) के पहले स्वदेशी कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) ‘कोवाक्सिन’ (Covaxin) का मानव परीक्षण (Human Trial) आज उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में शुरू हो गया है. आपको बता दें कि क्लिनिकल ह्यूमन ट्रायल (Clinical Human Trial) के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा चुने गए 12 संस्थानों में से एक उत्तर प्रदेश का राणा अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर भी है.
खबरों की मानें तो आज के परीक्षण में कुल नौ वॉलंटियर्स ने भाग लिया. जिसकी जानकारी मुख्य प्रशासनिक अधिकारी वेंकटेश चतुर्वेदी ने एक समाचार एजेंसी को दी है. चतुर्वेदी ने कहा, यह परीक्षण चिकित्सक डॉ. अजीत प्रताप सिंह और स्त्री रोग विशेषज्ञ व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सोना घोष की देखरेख में शुरू हुआ है. आपको बता दें कि वैक्सीन लेने वालों पर कड़ी निगरानी में रखा गया था. डॉक्टर की मानें तो वे सभी बिल्कुल स्वस्थ हैं.
इससे पहले इसी सप्ताह के शुरूआती सोमवार में भारत बॉयोटेक द्वारा निर्मित वैक्सीन क्लिनिकल ह्यूमन परीक्षण भुवनेश्वर के चिकित्सा विज्ञान संस्थान और एसयूएम अस्पताल में शुरू हुआ था. अंग्रेजी वेबसाइट लाइवमींट की मानें तो परीक्षण प्रक्रिया के मुख्य जांचकर्ता डॉ ई वेंकट राव ने कहा कि इसमें भी कई वॉलंटियर्स ने भाग लिया. चयनित वॉलंटियर्स ने खुद को परीक्षण में शामिल होने की घोषणा की थी. इन्हें 14 दिनों के अंतराल के भीतर दो खुराक दी जानी है.
जबकि, कोवाक्सिन के मानव परीक्षण का पहला चरण पीजीआईएमएस रोहतक में पूरा हुआ था. सबसे पहले यहां के एक अस्पताल में यह परीक्षण 17 जुलाई को शुरू किया गया था. जिसमें करीब 50 वॉलंटियर्स ने भाग लिया था. रोहतक अस्पताल की मुख्य जांचकर्ता डॉ. सविता वर्मा की मानें तो इन 50 लोगों के परिणाम अभी तक उत्साहजनक दिखे हैं. हालांकि, डॉक्टरर्स की टीम उनपर नजर बनाये हुए हैं.
– वॉलिंटयर्स का स्वस्थ होना जरूरी है,
– 18 से 55 वर्ष की आयु के स्वयंसेवक को ही इस परीक्षण में शामिल किया गया था,
– इसे कुल तीन चरणों में सम्पन्न होना है, जिसके लिए देशभर में कुल 12 संस्थान चुने गए हैं.
– सभी संस्थानों में मिलाकर पहले चरण में कुल कम से कम 375 लोग भाग ले रहे हैं.
– उत्तर प्रदेश के अलावा पहले चरण का परीक्षण हैदराबाद, रोहतक, पटना, कांचीपुरम, दिल्ली, गोवा और भुवनेश्वर में शुरू हो चुका है.
– इस वैक्सीन का नाम कोवाक्सिन रखा गया है. जिसे भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
Posted By : Sumit Kumar Verma