कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते देशभर में कालेज बंद हैं, लेकिन बहुत से कालेजों में पढ़ाई जारी है. छात्र छात्राएं अब कक्षाओं में नहीं बल्कि वर्चुअल क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं. लॉकडाउन जहां नई चुनौतियां पेश कर रहा है तो वहीं नए उपाय भी खोजने को मजबूर कर रहा है.
छात्रों की पढ़ाई बड़ी-बड़ी कक्षाओं से सिमट कर लैपटॉप, डेस्कटॉप और फोन में आ गई है. कॉलेज विभिन्न एप, सॉफ्टवेयर और वेबसाइटों के माध्यमों से छात्रों को पढ़ा रहें हैं, ताकि मौजूदा परिस्थितियों से उनकी पढ़ाई किसी तरह प्रभावित ना हो. दिल्ली विश्विद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज की छात्रा उन्नति ने बताया कि उनकी पढ़ाई एप के जरिए शुरू हो गई है जिस पर लाइव लेक्चर किए जा रहे हैं.
इकोनॉमिक्स ऑनर्स की छात्रा उन्नति ने कहा, “हमारी ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई है, ‘ज़ूम एप’ के ज़रिये लाइव लेक्चर हो रहे हैं. इस दौरान कक्षाओं की तरह ही छात्रों और शिक्षकों के बीच किसी भी विषय पर संवाद होता है.
वहीं नोट्स एवं असाइनमेंट व्हाट्सऐप पर पीडीएफ फॉर्म में उपलब्ध कराए जा रहे हैं.” इंद्रप्रस्थ कॉलेज से संबद्ध ‘दिल्ली मेट्रोपोलिटन एजुकेशन’ के असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद कामिल ने बताया कि उनके कॉलेज में ‘ज़ूम एप’ के अलावा कॉलेज के सॉफ्टवेयर पर छात्रों को पढ़ने की पूरी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा, “कॉलेज के सॉफ्टवेयर ‘कॉल पॉल’ पर छात्रों को पढ़ने की पूरी सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. इस पर पाठ्यक्रम से जुड़े वीडियो उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिस पर छात्र अपनी राय प्रकट कर सकते हैं और अपनी दुविधाओं को दूर कर सकते हैं. इसके लिए प्रोफेसर व्हाट्सऐप पर भी हमेशा उपलध रहते हैं.
” खेल पत्रकारिता और पर्यावरण संचार पढ़ाने वाले कामिल ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के अलावा ‘ज़ूम एप’ का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, जिस पर लाइव लेक्चर लिए जा रहे हैं. राम लाल आनंद कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर मानवेश ने बताया, ” सभी विभाग के प्रोफेसर कॉलेज पोर्टल पर अपने अपने विभाग की पढ़ने की सामग्री अपलोड कर रहे हैं. इसके अलावा सभी प्रोफेसर व्हाट्सऐप ग्रुप पर भी छात्रों के साथ जुड़े हैं और उनकी हर तरह से मदद के लिए हमेशा उपलब्ध हैं.” उन्होंने साथ ही बताया कि छात्रों को असाइनमेंट भी दिए गए हैं और अगर बंद को 21 दिन से अधिक बढ़ाया गया तो वे भी सॉफ्ट कॉपी के जरिये मंगवा लिए जाएंगे.
इस बीच कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें अब भी नहीं पता कि उनकी आगे की पढ़ाई कब शुरू होगी. उनका दावा है कि उनके कालेजों ने अभी तक इस संबंध में उन्हें कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. एक निजी मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के एक छात्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि छात्रों को जितना पता है वे उतना पढ़ रहे हैं लेकिन उनके कॉलेज ने उन्हें अभी तक पढ़ने के लिए ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध नहीं कराई है.