नयी दिल्ली : देश में कोरोना संक्रमण से मरनेवाले लोगों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गयी है. यहां हर रोज औसतन एक हजार से ज्यादा लोगों की जान जा रही है. देश में कोरोना से मृत्यु दर 1.56 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में 1,095 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़ कर 64.50 लाख से अधिक हो गयी है. इनमें से 53.97 लाख से अधिक लोग स्वस्थ हो चुके हैं, जिससे मरीजों के ठीक होने की दर 83.70 प्रतिशत हो गयी है.
देश में लगातार 11वें दिन कोविड-19 संक्रमण के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 10 लाख से कम रही और संक्रमणमुक्त हुए मरीजों की संख्या दुनिया में सर्वाधिक बनी हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 10 लाख लोग मात्र 12 दिन में संक्रमणमुक्त हुए है. देश में इस समय 9.49 लाख से अधिक मरीज उपचाराधीन हैं, जो कुल मामलों का 14.74 प्रतिशत है. दुनिया में अब तक कोरोना संक्रमण से 10 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
अमेरिका में सबसे अधिक 2.12 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई हैं. इसके बाद ब्राजील में 1.44 लाख से अधिक लोगों की जान गयी है. मौत के मामले में भारत तीसरे नंबर पर, जबकि संक्रमण के मामले दूसरे नंबर है. हालांकि, अमेरिका और ब्राजील में मौत का ग्राफ तेजी से घटने लगा है. यहां हर रोज औसतन 800 मरीजों की मौत हो रही है.
-
अमेरिका में सबसे तेज 92 दिनों में हुईं एक लाख मौतें
-
देश : महाराष्ट्र में सबसे अधिक मौतें
महाराष्ट्र 37,480 2.6%
तमिलनाडु 9,653 1.6%
कर्नाटक 9,119 1.5%
आंध्र प्रदेश 5,900 0.8%
उत्तर प्रदेश 5,917 1.5%
दिल्ली 5,438 1.9%
पश्चिम बंगाल 5,070 1.9%
महीना मौतें
मार्च 47
अप्रैल 1,107
मई 4,251
जून 12,005
जुलाई 18,728
अगस्त 28,879
सितंबर 34,565
रिलायंस लाइफ साइंसेज ने ऐसी आरटी-पीसीआर किट विकसित की है, जो करीब दो घंटे में कोविड-19 की जांच का परिणाम दे देती है. मौजूदा वक्त में आरटी-पीसीआर किट से कोविड-19 की जांच के परिणाम में करीब 24 घंटे का वक्त लग जाता है. यह प्रयोगशाला में वास्तविक समय में किसी विषाणु के डीएनए और आरएनए में नकल करने की जांच करता है और सार्स-कोव-2 में मौजूद न्यूक्लिक अम्ल की पहचान करता है. न्यूक्निक अम्ल हर ज्ञात जीवित वस्तु में पाया जाता है. वैज्ञानिकों ने देश में कोरोना के 100 से ज्यादा जीनोम का विश्लेषण किया है.
आइसीएमआर ने हैदराबाद स्थित एक बायोफॉर्मास्युटिकल कंपनी के साथ मिल कर ‘अत्यंत शुद्ध एंटीसेरा’ विकसित किया है, जो कोविड-19 का संभावित इलाज हो सकता है. इस ‘अत्यंत शुद्ध एंटीसेरा’ को घोड़ों में असक्रिय सार्स-सीओवी2 का इंजेक्शन देकर विकसित किया गया है. आइसीएमआर में महामारी और संक्रामक रोग विभाग की प्रमुख सिमरन पांडा का कहना है कि ‘एंटीसेरा’ सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं, यह जानने के लिए अभी उसका ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल होना बाकी है.
इस संबंध में जल्दी ही भारत के औषधि महानयंत्रक से संपर्क किया जायेगा. ‘एंटीसेरा’ एक प्रकार का ब्लड सीरम है, जिसमें किसी विशेष वायरस से लड़ने की क्षमता रखनेवाले एंटीबॉडी की मात्रा ज्यादा होती है और किसी भी विशेष संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को तत्काल बढ़ाने के लिए मनुष्य को यह इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है.
अमेरिका के स्वास्थ्य संस्थानों का कहना है कि उन्हें वैक्सीन के प्रभावशाली परिणाम देखने के लिए दस लाख से ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ेगी. वहीं, डॉक्टर्स का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए दस लाख से ज्यादा वॉलियंटर्स की जरूरत पड़ेगी. हालांकि, अमेरिका में पांच लाख लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए हस्ताक्षर कर दिये हैं, लेकिन शोध को पूरा करने के लिए दस लाख लोगों की आवश्यकता पड़ेगी.
नेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज की ओर से कोविड-19 प्रीवेंशन नेटवर्क के नाम से एक शोध किया जा रहा है. इस शोध के मुताबिक, परीक्षण के बेहतर परिणाम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को वॉलियंटरिंग करने की जरूरत है. डॉक्टर का कहना है कि जितनी जल्दी कोरोना की वैक्सीन का परीक्षण खत्म होगा, उतनी ही जल्दी परिणाम सबके सामने आयेंगे और ज्यादा से ज्यादा शोध किये जायेंगे.
Posted by : pritish sahay