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कोरोना से लड़ने के हथियार मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट बन सकते हैं खतरा, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

नयी दिल्ली : पूरी दुनिया को हलकान करने वाले कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा नही बन सकी है. इससे लड़ने में सबसे बड़े हथियार के रूप में दुनिया भर में फेस मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट का इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अब ये हथियार भी जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. समुद्र में इनकी मौजूदगी पानी में रहने वाले जीवों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

नयी दिल्ली : पूरी दुनिया को हलकान करने वाले कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा नही बन सकी है. इससे लड़ने में सबसे बड़े हथियार के रूप में दुनिया भर में फेस मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट का इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अब ये हथियार भी जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. समुद्र में इनकी मौजूदगी पानी में रहने वाले जीवों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

चीन की वुहान से पूरी दुनिया में फैले कोरोनावायरस (कोविड 19) एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. अब इससे निबटने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जीचें भी एक बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से लड़ाई में इस्तेमाल होने वाली चीजों के वेस्टेज समुद्र में पहुंचने लगे हैं और इससे बड़ा नुकसान हो सकता है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन कचरों से समुद्री जीवों को काफी नुकसान हो सकता है. यह भी कहा गया है कि ये कचरे लंबे समय तक नष्ट नहीं होते हैं. इन कार्बन युक्त पॉलीमर की 450 साल से ज्यादा होती है, जो प्लास्टिक की तरह सैकड़ों सालों तक पर्यावरण के लिए खतरा बन सकते हैं. मतलब कोरोना का कचरा भी एक बड़ा खतरा बन सकता है.

दरअसल, कोरोना वायरस से बचने के लिए हम मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट का इस्तेमाल करते हैं. इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कहीं भी फेंक देते हैं, यही कोरोना का कचरा कहलाता है. ये कचरा अपने साथ बहुत सारी चुनौतियों को लेकर सामने आ सकता है. इस कचरे का सही प्रबंधन नहीं करने की वजह से यह नदियों में बहाया जा रहा है.

नदियों के रास्ते यह कचरा समुद्र तक पहुंच रहा है. दावा किया गया है कि समुद्र में मौजूद जेली फिस की तुलना में कहीं अधिक मास्क पहुंच चुके हैं. अब, जब ये कचरे कई सालों तक नष्ट नहीं होते, तो इससे समुद्री जीवों को बहुत नुकसान होगा. समुद्र में कचरे से होने वाले नुकसान की खबरें पहले भी आती रही हैं. ऐसे में इस नये संकट ने से निबटने के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में हर महीने कोरोना से बचने के लिए केवल मेडिकल स्टाफ को करीब 8 करोड़ ग्लव्ज, 16 लाख मेडिकल गॉगल्स के साथ 9 करोड़ मेडिकल मास्क की जरूरत पड़ रही है. इसमें सिर्फ आधिकारिक मेडिकल स्टाफ के आंकड़े शामिल हैं. कचरे के निबटारे में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां सख्ती बरती जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस ने अपने यहां इस्तेमाल किए फेस मास्क, ग्लव्ज और ऐसी ही चीजों को खुले में फेंकने पर सख्त पाबंदी लगायी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस का यह वेस्ट इंसानों के साथ पालतू पशुओं के लिए भी खतरनाक है. जब यह बहकर समुद्र में चला जाता है तक जलीय जीवों को भी इससे बड़ा नुकसान हो सकता है. पर्यावरण संरक्षणवादियों ने चेतावनी दी है कि कोरोनावायरस महामारी समुद्र के प्रदूषण में वृद्धि कर सकता है. प्लास्टिक कचरे के रूप में यह समुद्री जीवन को खतरे में डाल सकती है. पूर्व में ही कई ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आ चुके हैं, जिसमें समुद्र के कचरे का जिक्र है.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

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