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कोरोना वायरस साजिश या गलती से फैला संक्रमण? कहां से शरू हुआ प्रसार ? खुफिया रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे

दुनिया भर में पिछले डेढ़ सालों से ज्यादा वक्त से कोरोना संक्रमण ने तबाही मचा रखी है. कोरोड़ों लोगों की जान चली गयी. अब भी कई देश इस वायरस से लड़ रहे हैं लेकिन अभी भी इस वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सवाल है जिसका जवाब दुनिया भर के देश तलाश रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2021 11:54 AM
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क्या कोरोना संक्रमण का फैलना गलती थी या एक बड़ी साजिश है ? अबतक इस सवाल का जवाब पूरी दुनिया तलाश रही है. चीन के वुहान शहर से इस वायरस की उत्पति मानी जाती है लेकिन इसे लेकर अबतक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले. संक्रमण कैसे फैला, इसके क्या कारण थे ? ये अब भी सवाल बने हुए हैं.

दुनिया भर में पिछले डेढ़ सालों से ज्यादा वक्त से कोरोना संक्रमण ने तबाही मचा रखी है. कोरोड़ों लोगों की जान चली गयी. अब भी कई देश इस वायरस से लड़ रहे हैं लेकिन अभी भी इस वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सवाल है जिसका जवाब दुनिया भर के देश तलाश रहे हैं.

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अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कोरोना संक्रमण आने के ठीक एक महीने पहले वुहान लैब का स्टाफ बीमार पड़ा था जिसके बाद तीन और लोग इसी लैब से जुड़े बीमार पड़ गये. इस संबंध में अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट प्रकाशित की है . वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी (Wuhan Institute of Virology) के तीन शोधकर्ता नवंबर 2019 में बीमार पड़े थे. यह रिपोर्ट उन दावों को बल देती है जिसमें यह कहा गया है कि कोरोना संक्रमण वुहान के इसी लैब से फैला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) एक बैठक करने जा रहा है जिसमें कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में चर्चा होगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) की एक टीम भी इस वायरस की उत्पति को लेकर जांच कर रही है वह वुहान की चीनी लैब से भी जांच कर लोटी जिसके बाद यह कहा कि हमारे पास पक्के सबूत नहीं है कि इस वायरस का फैलाव इसी जगह से शुरू हुआ.

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मीडिया में छपी खबरों के अनुसार यह बात पहले ही सामने आयी है कि कोशिकाओं पर वायरस के असर को लेकर साल 2015 से ही शोध चल रहा था. इस शोध में विज्ञानी शी झेंग-ली शामिल थी. इस लैब में इसी वायरस पर शोध चल रहा था इसलिए संभावना है कि कोरोना संक्रमण का प्रसार यही से शुरू हुआ है. कई विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भी यही मत रखते हैं लेकिन इसे लेकर अबतक पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं जिसकी वजह से अंतराष्ट्रीय एजेंसी इसे मानने से इनकार कर रही है.

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