11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोविड 19 को फैलने से रोकने के लिए कितनी दूरी है जरूरी, पढ़ें

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मुँह या साँस के जरिये निकली छोटी बूंदें नीचे गिरने या खत्म होने से पहले हवा में आठ से 13 फुट तक की दूरी तय कर सकती हैं, जो हवा की गति और उस परिवेश की स्थिति पर निर्भर करता है. इसलिए इसको लेकर शोध करने वाले भारतीय शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए छह फुट से अधिक की शारीरिक दूरी आवश्यक हो सकती है .

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मुँह या साँस के जरिये निकली छोटी बूंदें नीचे गिरने या खत्म होने से पहले हवा में आठ से 13 फुट तक की दूरी तय कर सकती हैं, जो हवा की गति और उस परिवेश की स्थिति पर निर्भर करता है. इसलिए इसको लेकर शोध करने वाले भारतीय शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए छह फुट से अधिक की शारीरिक दूरी आवश्यक हो सकती है .

Also Read: बाबा रामदेव कोरोनिल बेच सकते हैं लेकिन कोरोना की दवा बताकर नहीं

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह बात अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी है कि कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस संक्रमित लोगों की सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति जब खांसता, छींकता या बात करता है, तो उस वक्त उसके मुँह से निकली बूंदों से उसके पास मौजूद लोगों में वायरस के संक्रमण का खतरा होता है. शोधकर्ताओं में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. शोधकर्ताओं की टीम ने कोविड-19 जैसी महामारी के शुरुआती चरणों के लिए एक गणितीय मॉडल विकसित किया है, जिसमें वायुगतिकी और श्वसन बूंदों के वाष्पीकरण के लक्षणों से जुड़ी जानकारियों का उपयोग किया गया है.

‘फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध ने एक प्रतिक्रिया तंत्र के साथ महामारी की गतिशीलता को प्रतिरूपित किया है, जिसमें प्रत्येक प्रतिक्रिया में सांस के जरिये बाहर निकली छोटी-छोटी बूंदों की आवृत्ति की गणना करके स्थिर दर निकाली गई है. शोधकर्ताओं ने फिर एक स्वस्थ व्यक्ति की सांस से निकली बूंदों की संक्रमित व्यक्ति की सांस से निकली बूंदों के साथ तुलना की.

कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के स्वेतप्रूवो चौधरी ने कहा, ‘‘हमने द्रव्यमान, गति, ऊर्जा और आकार के मापदंड का उपयोग करके बूंद के आकार, उसके फैलने की दूरी और उसके खत्म होने की अवधि समेत सभी महत्वपूर्ण कारकों की गणना की है.” रिपोर्ट के अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सह-लेखक अभिषेक साहा ने कहा, ‘‘बिना हवा के और परिवेश की स्थिति के आधार पर हमने बूंदों के खत्म होने या नष्ट होने से पहले उसे 8 से 13 फुट तक की दूरी तय करते हुये पाया है.” आईआईएससी के एक अन्य शोध लेखक सप्तर्षि बसु ने कहा, ‘‘यह मॉडल कोविड-19 के सटीक प्रसार का अनुमान लगाने का दावा नहीं कर रहा है, लेकिन, हमारे शोध से पता चलता है कि छोटी बूंदों के खत्म होने या सूखने का समय परिवेश के तापमान और सापेक्ष आर्द्रता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है.”

Posted By – pankaj Kumar pathak

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें