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क्यों बच्चे कोरोना वायरस का कम हो रहे हैं शिकार, वैज्ञानिकों ने पता किया राज

बच्चों में फेफड़ों के काम करने के तौर-तरीके और रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज में थोड़े अंतर से पता चल सकता है कि वयस्कों के मुकाबले कोविड-19 से जुड़ी गंभीर बीमारियों से बच्चे कैसे ज्यादा बचे रहते हैं.

ह्यूस्टन : बच्चों में फेफड़ों के काम करने के तौर-तरीके और रोग प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज में थोड़े अंतर से पता चल सकता है कि वयस्कों के मुकाबले कोविड-19 से जुड़ी गंभीर बीमारियों से बच्चे कैसे ज्यादा बचे रहते हैं.

अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने कहा कि अमेरिका की 22 प्रतिशत आबादी 18 साल तक के बच्चों की है लेकिन देश में कोविड-19 के पहले 1,49,082 मामलों में करीब 1.7 फीसदी मामले ही इस आयु वर्ग से जुड़े हैं.

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यह अनुसंधान अमेरिकी पत्रिका ‘लंग सेलुलर एंड मोलेक्यूलर फिजियोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि मनुष्यों में पाया जाने वाला अणु एंजियोटेन्सिन या एसीई2 किशोरों के मुकाबले बच्चों में कम संख्या में पाया जाता है. यह अणु कोरोना वायरस को कोशिकाओं तक पहुंचने में मदद करता है.

अध्ययन के सह-लेखक मैथ्यू हार्टिंग ने कहा, ‘‘एसीई2 विषाणु के प्रवेश के लिए अहम होता है और यह बच्चों में कम संख्या में पाया जाता है क्योंकि ये उम्र के साथ बढ़ते हैं.” वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों में रोग प्रतिरक्षा प्रणाली किशोरों के मुकाबले अलग तरीके से काम करती है जिससे बच्चों में गंभीर बीमारी होने का खतरा कम रहता है.

Posted By – Pankaj Kumar pathak

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