फिनलैंड में सामने आया कोविड-19 के नए वेरिएंट ‘म्यू’ का पहला मामला, 40 देशों में फैला संक्रमण
Mu Variant Of Covid-19 कोविड की तीसरी लहर के संभावित खतरे के बीच कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप ने विश्व के कई देशों में टेंशन बढ़ा दी है. दुनिया के कई देशों में एक ओर जहां बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में कमी आई थी.
Mu Variant Of Covid-19 कोविड की तीसरी लहर के संभावित खतरे के बीच कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप ने विश्व के कई देशों में टेंशन बढ़ा दी है. दुनिया के कई देशों में एक ओर जहां बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में कमी आई थी. वहीं, डब्ल्यूएचओ ने सूचना दी है कि कोरोना का न्यू वेरिएंट म्यू कई म्यूटेशन का जोड़ है. जिससे लोगों को ज्यादा खतरा है. कोविड-19 के म्यू वेरिएंट जिसे आधिकारिक तौर पर बी 1.621 कहा जा रहा है.
हाल ही में डब्ल्यूएचओ (WHO) ने महामारी पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा कि यह वेरिएंट कई म्यूटेशन का जोड़ है, जो वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी से बचने में कारगर है. ‘म्यू’ को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने का काम किया गया है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसके म्यूटेशन कोरोना के खिलाफ वैक्सीन लगवाने के बाद भी शरीर को संक्रमित कर सकते हैं. कोविड के यह नया वेरिएंट अपना रूप बदल रहा है, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए रिसर्च करने की जरूरत है.
फिनलैंड ने कोरोनोवायरस के ‘म्यू’ वेरिएंट के पहले मामले की सूचना दी है. जिसे पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘variant of interest’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था. फिनिश शोधकर्ताओं (Finnish Researchers) का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि फिनलैंड के अलावा 39 अन्य देशों में कोरोनवायरस के ‘म्यू’ संस्करण का पता चला है. वायरस के अन्य प्रकारों की तुलना में यह वेरिएंट संक्रामक रोग का कोई अतिरिक्त खतरा पैदा नहीं करता है.
वहीं, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना का म्यू वेरिएंट अब तक भारत में नहीं पाया गया है. इसके अलावा एक और म्यूटेशन c.1.2 का भी कोई मामला भारत में देखने को नहीं मिला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जिन लोगों ने दोनों वैक्सीन ले ली है उनको भी म्यू अपनी चपेट में ले सकता है. इस वैरिएंट की बात करें तो यह जनवरी 2021 में पहली बार कोलंबिया में पाया गया था जिसका वैज्ञानिक नाम B1.621 है.