नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन के जल्द तैयार होने की उम्मीद जतायी है. वहीं, इसी साल के अंत तक वैक्सीन की पहली खेप भारत पहुंचने की बात कही जा रही है. इसी बीच, नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि बच्चों को कोरोना वैक्सीन देने की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी है.
अभी तक जो अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन बनी हैं और जो आम धारणा है उसमें बच्चों को वैक्सीन देने की आवश्यकता महसूस नहीं की गई है। वैक्सीन की टेस्टिंग ज़्यादातर 18 वर्ष से अधिक उम्र पर ही की गई है: डॉ.वी.के.पॉल, नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) #COVID19 pic.twitter.com/zIBRlJstBc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 22, 2020
जानकारी के मुताबिक, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने मंगलवार को कहा है कि अभी तक जो अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन बनी हैं और जो आम धारणा है, उसमें बच्चों को वैक्सीन देने की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी है. साथ ही उन्होंने कहा है कि वैक्सीन की टेस्टिंग ज्यादातर 18 वर्ष से अधिक उम्र पर ही की गयी है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने कहा है कि पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जायेगी. इनमें एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मी, दो करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर और 50 वर्ष से उम्र के 26 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जायेगी. वहीं, 50 वर्ष से कम उम्र के वैसे एक करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जायेगी, जिन्हें कोई बीमारी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि अगले साल जनवरी माह के किसी भी सप्ताह में भारत के लोगों को पहली वैक्सीन देने की बात कही है. मालूम हो कि भारत में भी कोरोना वैक्सीन को लेकर तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार को बताया था कि भारत में कोरोना वायरस के अभी करीब तीन लाख सक्रिय मामले हैं. वहीं, कोरोना वायरस के 95 लाख से ज्यादा पीड़ित स्वस्थ्य होकर घर लौट चुके हैं.
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