कोविड-19 के बारे में वो बातें जो अब तक नहीं जानते आप, भारत में कम क्यों हो रहीं मौतें?
भारत में कोविड-19 संक्रमण का पहला पॉजिटिव केस 30 जनवरी को रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन तब से लेकर आज तक (2 जून) दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले इस देश में कोरोना वायरस संक्रमण के दो लाख से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. इसमें करीब एक लाख 70 हजार मामले मई माह में लॉकडाउन के दौरान सामने आए.
भारत में कोविड-19 संक्रमण का पहला पॉजिटिव केस 30 जनवरी को रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन तब से लेकर आज तक (2 जून) दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले इस देश में कोरोना वायरस संक्रमण के दो लाख से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. इसमें करीब एक लाख 70 हजार मामले मई माह में लॉकडाउन के दौरान सामने आए. देश में अबतक कोरोना के कारण 6000 से अधिक मौतें हुई हैं. दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में इस संक्रमण से काफी कम लोगों की मौत हुई है. इसकी खूब चर्चा हो रही है.
कुछ लोग इतनी कम मृत्यु दर के रहस्य पर बात कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि भारत कोरोना वायरस की घातक मार से खुद को बचाने में कामयाब दिख रहा है. कुछ लोग कोरोनावायरस के ग्लोबल हॉटस्पॉट्स की तुलना में प्रमुख भारतीय शहरों में कम मौतों पर सवाल कर रहे हैं. भारत सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण प्रभावित देशों की सूची में सांतने स्थान पर आ गया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, भारत में आज भी 10 लाख की आबाद पर महज 3000 टेस्ट कर रहा है.
टेस्ट के लिहाज से सबसे अच्छी स्थिति तमिलनाडु और दिल्ली की है जहां 10 लाख की आबादी पर 6650 और 10979 टेस्ट कर रहा है. भारत में जांच तेज हुई तो संक्रमण के मामले तेजी से सामने आए. बीते 5-6 दिनों में हर रोज आठ हजार से ज्यादा नये मामले सामने आए. भारत में अनलॉक 1 चल रहा है. ऐसे वक्त में जब कोरोना के मामले तेज हो गए हैं तो जरूरत है इस महामारी के बारे में जानने की.
भारत में मौतें कम,कारण क्या ?
पहला तो ये कि कोरोना से भारत (2.8%) दुनिया (6%) के मुकाबले काफी कम मौतें हो रही हैं. किसी को नहीं पता कि ऐसा क्यों हैं. कुछ लोगों का मानना है कि भारत में युवा आबादी ज्यादा है और इस वजह से संक्रमण से मौतें कम हो रही हैं. बुजुर्गों में इस संक्रमण से मौत का जोखिम ज्यादा होता है. कुछ हलकों में इस बात पर भी चर्चा हो रही है भारत में जिस वायरस का अटैक हुआ है, वह कम खतरनाक किस्म का है. क्या ऐसा बीसीजी टीका के कारण हो रहा है जो भारत में हर बच्चे को दिया जाता है. वैज्ञानिक तौर पर ये भी नहीं पता कि भारत में कोरोना मरीजों को वेंटिलेंटर की जरूरत क्यों नहीं पड़ती. अमेरिका और इटली में वेंटिलेटर की कमी के कारण ही सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.
मौत की दर पर संशय
दूसरा ये कि इस बात की कोई सही जानकारी नहीं है कि भारत में मौत का दर क्या है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में सामने आए कुल संक्रमण के आंकड़ों के आधार पर मृत्यु दर को मापा जा रहा है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे राज्यों में पॉजिटिव केस सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं. इन तीनों राज्यों के मिला दें तो देश में कुल संक्रमण के मुकाबले इन्हीं तीन राज्यों में करीब 58 फीसदी मामले हैं. पूरी दुनिया में पॉजिटिव मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि जांच की गति तेज हुई है. भारत में अब भी जांच की गति बाकी देशों के मुकाबले काफी कम है.
ऐसे में कितनी मौतें कोरोना के कारण हो रही हैं ये साफ नहीं है. संक्रमण के आधार पर देखें तो भारत में मृत्यु दर 2.8 फीसदी है. मौतों के आंकड़ों की स्टडी के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाया कि कोरोनावायरस से संक्रमण के दौरान मार्च में अमेरिका में कम से कम और 40 हजार मौतें हुई थीं. इन मौतों में कोविड-19 के साथ दूसरी वजहों से हुई मौतें भी शामिल थीं.ृ ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने हाल में कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान 14 देशों में हुई मौतों का विश्लेषण किया था. अखबार के मुताबिक कोरोना वायरस से हुई मौतें आधिकारिक आंकड़ों से 60 फीसदी ज्यादा हो सकती हैं.