15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अस्पताल में भर्ती होने वाले 3.6% कोरोना मरीजों में फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण, आईसीएमआर की स्टडी में खुलासा

ICMR Study देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के जारी व्यापक प्रभाव के बीच ब्लैक फंगस में मामलों में तेजी से बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस और बैक्टीरियल संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी में नई बात सामने आयी है. स्टडी के मुताबिक, इस बार के कोरोना की लहर में पिछली बार की तुलना में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के ज्यादा मामले सामने आ रहे है. आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक, दूसरी लहर में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों में 3.6 प्रतिशत लोगों में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन की शिकायतें पायी जा रही है. इनमें इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंचे मरीजों में 1.7- 28 प्रतिशत के बीच संक्रमित होने की बात सामने आयी है.

ICMR Study देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के जारी व्यापक प्रभाव के बीच ब्लैक फंगस में मामलों में तेजी से बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है. कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस और बैक्टीरियल संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी में नई बात सामने आयी है. स्टडी के मुताबिक, इस बार के कोरोना की लहर में पिछली बार की तुलना में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के ज्यादा मामले सामने आ रहे है. आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक, दूसरी लहर में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों में 3.6 प्रतिशत लोगों में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन की शिकायतें पायी जा रही है. इनमें इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंचे मरीजों में 1.7- 28 प्रतिशत के बीच संक्रमित होने की बात सामने आयी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में सेकंडरी संक्रमणों के प्रभाव में आए मरीजों में 56.7 प्रतिशत की मृत्यु की बात सामने आयी है. जबकि, दस अस्पतालों में भर्ती मरीजों के बीच यह दर 10.6% थी. दस अस्पतालों से लिए गए आंकड़ों के आधार पर यह बात बतायी गयी है. इनमें से एक अस्पताल में सेकंडरी संक्रमण वाले लोगों में मृत्यु दर 78.9% तक थी. स्टडी में यह बात सामने आयी है कि ज्यादातर अस्पतालों में संक्रमण को रोकने के लिए बेहतर उपायों की कमी है. ऐसे में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों में फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इन जगहों पर डबल ग्लविंग और गर्म मौसम में पीपीई किट्स के इस्तेमाल की वजह से हैंड हाइजीन का उतना ध्यान नहीं रखा जा रहा था.

स्टडी में बताया गया है कि फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के चपेत में आए उन मरीजों के इलाज में ज्यादा परेशानी होती है, जिन्हें कोरोना संक्रमण भी हुआ हो या इलाज के बाद जांच रिपोर्ट निगेटिव आ गया है. बताया गया है कि अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम के लिए बेहतर उपायों पर ध्यान देना चाहिए. जिससे इस तरह के संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकें. यह भी कहा गया है कि ब्लैक फंगस के मामलों के बारे में अस्पताल जानकारी भी उपलब्ध नहीं करा रहे है. जिससे इसके इलाज में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल में सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ चंद वट्टल ने बताया कि यह एक दोहरी मार है. कोरोना वायरस अन्य संक्रमणों के साथ मृत्यु दर में काफी वृद्धि करता है. दूसरी लहर के बाद रिपोर्ट किए गए ब्लैक फंगस यानि म्यूकोर्मिकोसिस के मामले काफी हद तक स्टेरॉयड के अति इस्तेमाल की वजह से हैं. जब दूसरी लहर चरम पर थी, तब स्टेरॉयड बाजार से गायब हो गए थे. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है. यह उपलब्ध सबसे आम दवाओं में से एक है.

Also Read: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र, वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए किया ये आग्रह

Upload By Samir

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें