22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्वस्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों के लिये कठोर दंड के प्रावधान वाला अध्यादेश लागू

कोरोना संकट से निपटने के अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में कार्यरत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन पर हमला करने वालों को सख्त सजा के प्रावधानों वाला अध्यादेश लागू हो गया है .

नयी दिल्ली : कोरोना संकट से निपटने के अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में कार्यरत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन पर हमला करने वालों को सख्त सजा के प्रावधानों वाला अध्यादेश लागू हो गया है .

Also Read: कोरोना से जंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक डॉक्टर ने भेजा बनारसी गमछा

केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों को संज्ञेय एवं गैरजमानती अपराध घोषित करने वाले ‘‘महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020” को बुधवार मध्यरात्रि से लागू कर दिया.

संज्ञेय और गैर जमानती अपराध का आशय यह है कि पुलिस आरोपी को अपराध दर्ज किये जाने के बाद गिरफ्तार कर सकती है और आरोपी को अदालत से ही जमानत मिल सकती है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बुधवार को इस अध्यादेश को लागू करने की मंजूरी मिलने के कुछ घंटों के बाद ही देर शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे प्रवर्तन में लाने की अनुमति दे दी थी.

इसके कुछ समय बाद ही मंत्रालय ने अध्यादेश जारी कर दिया. इसके साथ ही अध्यादेश प्रवर्तन में आ गया. अध्यादेश में महामारी अधिनियम 1897 के कुछ प्रावधानों में संशोधन कर स्वास्थ्य कर्मियों के किसी भी प्रकार के हमले में घायल होने या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है.

अध्यादेश में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले हिंसक कृत्यों या ऐसे कामों में सहयोग करने पर तीन महीने से पांच साल तक कैद और 50 हजार से लेकर दो लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसमें स्वास्थ्य कर्मी को गंभीर चोट पहुंचाने पर दोषी को छह माह से लेकर सात साल तक कैद की सजा होगी और एक लाख से लेकर पांच लाख रूपये तक उस पर जुर्माना लगेगा.

इसके अलावा अध्यादेश के प्रावधानों के मुताबिक इस अपराध के दोषी ठहराये गये व्यक्ति से न सिर्फ पीड़ित व्यक्ति को दिये जाने वाले मुआवजे की राशि को वसूला जायेगा बल्कि पीड़ित पक्षकार की संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भी भरपायी दोषी को बाजार मूल्य से दोगुनी कीमत पर करनी होगी. इन दोनों राशियों का निर्धारण मामले का निस्तारण करने वाली अदालत करेगी.

इस अध्यादेश का मकसद कोरोना महामारी के संकट से निपटने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों तथा उनकी संपत्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है. इसके माध्यम से सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं होगा.

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संकट के दौरान पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न इलाकों में स्वास्थ्य कर्मियों पर हुये हिंसक हमले की घटनाओं का हवाला देते हुये इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये कानून में सख्त प्रावधान किये जाने की जरूरत पर बल दिया था. अध्यादेश में ‘हिंसा’ की परिभाषा के दायरे में स्वास्थ्य कर्मियों के कामकाज और जीवन यापन में बाधक बनने वाली प्रताड़ना को भी शामिल किया गया है जो उन्हें पेशेवर दायित्वों के निर्वाह में बाधा पैदा करती हो.

इसमें उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र के आसपास या अन्यत्र कहीं, शारीरिक चोट पहुंचाना, धमकाना, उनकी जान, संपत्ति या दस्तावेजों को खतरा उत्पन्न करना शामिल है. इसके प्रावधानों के मुताबिक संपत्ति के दायरे में चिकित्सा केन्द्र या मरीजों को पृथक रखने के लिये चिन्हित किये गये पृथक वास, मोबाइल चिकित्सा इकाई या महामारी से जुड़ी ऐसी कोई भी संपत्ति शामिल है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा कर्मी कार्यरत हों.

अध्यादेश के तहत ऐसे मामलों की जांच पुलिस निरीक्षक स्तर के किसी अधिकारी को 30 दिन की अवधि में पूरी करनी होगी और जांच का परीक्षण करने वाली अदालत को एक वर्ष के भीतर फैसला सुनाना होगा. न्यायिक परीक्षण की अवधि को एक साल से अधिक बढ़ाने के लिये अदालत को लिखित में इसके कारण का उल्लेख करना होगा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें