नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन की वजह से पलायन कर रहे कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्यों को 15 दिन का समय देने पर वह विचार कर रहा है. कोर्ट ने आज अपना फैसला इस मसले पर नौ जून तक के लिए सुरक्षित रखा है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इन प्रवासी कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिये गये मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान अपनी मंशा जाहिर की.
इस बीच केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को उनके पैतृक स्थान तक पहुंचाने के लिए तीन जून तक 4,200 से अधिक ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गयीं हैं. मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुयी हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती है कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है ओर इसके लिये कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी.इस मामले में अभी सुनवाई जारी है.
शीर्ष अदालत ने 28 मई को निर्देश दिया था कि अपने पैतृक स्थान जाने के इच्छुक सभी प्रवासी कामगारों से ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाये.न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि रास्ते में फंसे श्रमिकों को संबंधित प्राधिकारी नि:शुल्क भोजन और पानी मुहैया करायेंगे.
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गौरतलब है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण हजारों -लाखों मजदूर बेरोजगार हो गये और इन हालातों में वे अपने घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े. चूंकि देश में लाॅकडाउन लागू था इसलिए किसी भी तरह के आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं थे. इसी वजह से उनकी स्थिति बहुत ही दुखदायी हो गयी थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.
Posted By : Rajneesh Anand