अगर आप कोरोना को मात देकर ठीक हो गये हैं तो आपके अंदर कोरोना से लड़ने की क्षमता कबतक होती है ? यह एक बड़ा सवाल है ? कोरोना वैक्सीन आपको संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है. एक शोध में इन सवाल से जुड़े जवाब सामने आये हैं.
अगर आप कोरोना संक्रमण को मात देकर ठीक हुए हैं तो ऐसा नहीं है कि संक्रमण का खतरा दोबारा नहीं है. रिसर्च बताता है कि कोरोना से लड़ने की ताकत आपके अंदर 6- 7 महीने तक रहती है. लगभग 20 से 30 फीसदी लोग ऐसे हैं जो छह महीने के बाद कोरोना से लड़ने की ताकत खो देते हैं. इनमें इम्यूनिटी कम हो जाती है.
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यह शोध इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के द्वारा किया गया है. डॉ अनुराग अग्रवाल जो IGIB के निदेशक हैं बताते हैं कि इस शोध की वजह से हमें यह समझने में आसानी हुई है कि आखिर क्यों मुंबई जैसे बड़े शहर में कोरोना की स्थिति ऐसी है. शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोरोना लहर का पता लगा सकता है.
कोरोना वैक्सीन के महत्व को भी इस शोध से मदद मिलेगी. इस पर अभी भी शोध चल रहा है. अबतक कई चीजें सामने नहीं आयी है. आज कोरोना से बचाव के लिए जितने भी वैक्सीन दिये जा रहे हैं उससे यह विश्वास जरूर है कि संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन लेने के एक साल तक इम्यूनिटी रहती है.
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इस शोध के माध्यम से दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों का उदारण देकर यह समझाने की कोशिश की गयी है कि कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादातर लोगों में एक बार इम्यूनिटी बनने के बाद छह से सात महीने के बीच होता है. कोरोना की सेकेंड वेब भी इसी तरह मापी जा सकती है. जब भी लोगों में कोरोना से लड़ने की क्षमता कम होगी संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. पांच से छह महीने के बाद लगभग 20 फीसद लोगों में कोरोना से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है.