नयी दिल्ली : एक ओर तो केंद्र सरकार देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस अपने प्रदेश भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन चला रही हैं, वहीं दूसरी ओर बंगाल सरकार ने अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को स्वीकार करने से मना कर दिया है.
बंगाल सरकार ने अपने प्रदेश के मजदूरों की पहचान तो कर ली है, लेकिन उन्हें वापस बुलाने पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है, जबकि मजदूरों महाराष्ट्र में अपनी बारी के इंतजार में हैं. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार भी यहां से अपने राज्य के मजदूरों को वापस ले जाने में जल्दी नहीं कर रही है और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है.
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में 15,517 मामले हैं, जबकि अबतक 617 लोगों की मौत हो चुकी है. यही कारण है कि सरकारें यहां से अपने मजदूरों को ले जाने में संकोच कर रही है. शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार ने अलग-अलग प्रदेशों में रह रहे अपने मजदूरों को वापस ले जाने में जल्दी दिखाई, लेकिन महाराष्ट्र में फंसे मजदूरों को वापस लेने में वह भी केंद्र सरकार के नियमों को मान रही है और पहले मजदूरों की स्कैनिंग करायी जा रही है.
बिहार सरकार भी मजदूरों को कंबल मुहैया कराने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रही है और ऐसा कहा जा रहा है कि यह निर्णय मजदूरों की स्थिति के अनुसार किया जायेगा. गौरतलब है कि दिल्ली, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई इलाकों में प्रवासी मजदूर काम करते हैं, लेकिन वायरस के प्रकोप के कारण वे अपने राज्य वापस लौटना चाहते हैं.
पिछले पांच दिनों से केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन चलावाई है और अबतक 80 हजार मजदूर अपने-अपने घर लौट चुके हैं. लेकिन महाराष्ट्र के मजदूरों के सामने एक अलग ही समस्या दिख रही है. टाइम्स अॅाफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार इन मजदूरों को वापस अपने राज्य में लेने से कोरोना फैसले की आशंका है, जिसके कारण राज्य सरकारें असमंसज में हैं.