नयी दिल्ली : एक स्टडी में पता चला है कि जिस घरों में अधिक संख्या में वयस्क रहते हैं वहां लोगों के बीच में कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus Pandemic) कॉन्ट्रैक्टिंग का खतरा काफी ज्यादा रहता है. इसी स्कॉटिश अध्ययन में पता चला है कि बच्चों के साथ रहना जोखिम कारक नहीं होते हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने अध्ययन के हवाले से बताया कि वयस्कों, माता-पिता और स्कूल के कर्मचारियों का टीकाकरण बच्चों और स्कूलों में कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होगा.
पहले भी ऐसे शोध हुए हैं जिनमें कहा गया है कि कोविड-19 बच्चों और किशोरों में कम गंभीर है और अधिकांश में हल्के संक्रमण होते हैं या स्पर्शोन्मुख होते हैं. नये अध्ययन में कहा गया है कि अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं वाले बच्चों में बढ़ते जोखिम को देखते हुए, 12 वर्ष से अधिक उम्र के इन बच्चों को टीकाकरण के लाभ हो सकते हैं. स्टडी में कहा गया है कि बढ़ती उम्र गंभीर बीमारी के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है, इसलिए वृद्ध लोगों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण होते रहना चाहिए.
अध्ययन में आगे कहा गया है कि 12 से 15 साल के बच्चों में फाइजर वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण में देखे गये सामान्य दुष्प्रभावों में इंजेक्शन साइट दर्द (86 प्रतिशत प्रतिभागियों तक), थकान (66 प्रतिशत तक) और सिरदर्द (65 प्रतिशत तक) पाये गये हैं. ये गंभीरता में हल्के से मध्यम और अल्पकालिक थे. हालांकि दो और गंभीर, संबंधित स्थितियां मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) और पेरिकार्डिटिस (हृदय की परत की सूजन) की पहचान संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और इजराइल में एमआरएनए वैक्सीन (फाइजर और मॉडर्न) के बाद सुरक्षा निगरानी में की गयी है.
दूसरी खुराक के बाद 25 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में उच्चतम दर है. 11 जून तक के अमेरिकी आंकड़ों के आधार पर, 12-17 आयु वर्ग के लड़कों के लिए, दर 66.7 मामले प्रति मिलियन सेकेंड खुराक थी. अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान विशेष रूप से विशेष जरूरतों या मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले बच्चों और किशोरों पर अत्यधिक प्रभाव समाजीकरण और भावनात्मक विकास पर स्कूल बंद होने का प्रभाव रहा है.
इसमें कहा गया है कि अमेरिका और कनाडा किशोरों को आंशिक रूप से स्कूल में लौटने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने के लिए टीकाकरण कर रहे हैं. अध्ययन में कहा गया है कि बड़ी संख्या में वयस्कों को टीकाकरण से मृत्यु और गंभीर बीमारी से बचाया जा सकेगा. इससे स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ कम होगा. लेकिन कई देश टीकाकरण के जरिए हर्ड इम्युनिटी हासिल करने का लक्ष्य भी बना रहे हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.