नयी दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस खतरे को देखते हुए लॉकडाउन 4.0 लागू कर दिया गया है. इसी बीच लॉकडाउन के 55वें दिन भारत में कोरोनावायरस मरीजों की तादाद एक लाख पर पहुंच चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट की मानें तो लॉकडाउन 1.0 में जहां प्रतिदिन औसतन 414 केस सामने आये, वहीं लॉकडाउन 2.0 में 1600 और लॉकडाउन 3.0 में 3500 पॉजिटिव केस रोज मिले.
मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन 1.0 के मुकाबले लॉकडाउन 3.0 में 9 गुना तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ी. हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि लॉकडाउन 1.0 और लॉकडाउन 3.0 के बीच टेस्ट की रफ्तार में भी तेजी से इजाफा हुआ.
Also Read: Lockdown 4.0 : देश में ये है कंटेनमेंट जोन, देखें पूरी लिस्ट
भारत में कोरोनावायरस मरीजों का टेस्ट और डेटा जारी करने वाली संस्था आईसीएमआर की मानें तो लॉकडाउन 1.0 में जहां सिर्फ 1 लाख 84 हजार टेस्ट हुए. यानी औसतन 8772 टेस्ट प्रतिदिन. वहीं लॉकडाउन 3.0 में तकरीबन 9 लाख टेस्ट हुए, यानी औसतन 64285 टेस्ट प्रतिदिन, जबकि लॉकडाउन 2.0 में 11 लाख 94 हजार टेस्ट हुए, यानी प्रतिदिन 63000 टेस्ट.
मृत्यु दर सात गुना बढ़ा– भारत में लॉकडाउन 1.0 की तुलना में लॉकडाउन 3.0 में मृत्यु दर सात गुना तेजी से बढ़ा. पहले चरण के लॉकडाउन में जहां 318 लोगों की मौत हुई थी, वहीं तीसरे चरण के लॉकडाउन में मरने वालों की संख्या 1566 हो गयी. यानी लॉकडाउन 1.0 में जहां प्रतिदिन औसतन 15 लोगों की मौत हो रही थी वही लॉकडाउन 3.0 में संख्या बढ़कर 111 हो गयी. लॉकडाउन 2.0 में प्रतिदिन औसतन 60 लोगों की मौत हुई है.
लॉकडाउन 4.0 में क्या रहेगी स्थिति– लॉकडाउन 1.0, लॉकडाउन 2.0 और लॉकडाउन 3.0 की तुलना के आधार पर माना जा रहा है कि लॉकडाउन 4.0 में संक्रमित मरीजों की संख्या डेढ़ लाख के पार पहुंच जायेगी. यानी लॉकडाउन के 4.0 के 14 दिनों में 50-60 हजार केस सामने आ सकते हैं, जबकि मरने वालों की संख्या भी लॉकडाउन 4.0 में 2000 के आसपास हो सकती है.
30 जनवरी को पहला मामला- भारत में कोरोनावायरस का पहला केस सामने आया था, जिसके बाद लगातार मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. भारत में एहतियात तौर पर 22 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया.