COVID-19 Lockdown: देश में 21 दिन का लॉकडाउन, उल्लंघन करने पर ये सजा मिलेगी, पढ़ें- कैसे यह कर्फ्यू से अलग?

भारत में आपने कई बार कर्फ्यू लगने के बारे में सुना होगा लेकिन इतने बड़े स्तर पर लॉकडाउन की स्थिति शायद पहली बार आयी है. इसी वजह से बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि लॉकडाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है?

By Utpal Kant | March 25, 2020 10:44 AM
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कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन (lockdown in India) की घोषणा की है. इस दौरान जबतक बेहद जरूरी न हो घर से न निकलें. गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, अगर नियम का उल्लंघन करते पकड़े गए तो सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है. भारत में आपने कई बार कर्फ्यू लगने के बारे में सुना होगा लेकिन इतने बड़े स्तर पर लॉकडाउन की स्थिति भारत में शायद पहली बार आयी है. इसी वजह से बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि लॉकडाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है?

बता दें कि कोरोनावायरस से अब तक दुनिया भर में , 16,500 मौत हो चुकी हैं. साढ़े तीन लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं, इटली में अब तक 6000 लोगों को जान गवानी पड़ी है. इससे बचने के लिए सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की है

नियम के उल्लंघन पर दो साल तक की सजा

देश में 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान नियम और दिशा-निर्देशों को नहीं माननेवाले पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के सेक्शन 51 के तहत कार्रवाई होगी. इसमें सजा और जुर्माने दोनों की बात है. लॉकडाउन नहीं मानने पर 200 रुपये का जुर्माना और साथ ही एक महीने की सजा. लेकिन इसकी वजह से कानूनी व्यवस्था में दिक्कत आई, दंगे की स्थिति हुई तो सजा छह माह तक के लिए बढ़ जाएगी. ऑर्डर में कहा गया है कि अगर आपके ऑर्डर न मानने से किसी की जान जाती है, खतरा पैदा होता है तो दोषी पाए जाने पर जेल होगी जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है.

लॉकडाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर

एक कानून है 123 साल पुराना एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897, इसमें लॉकडाउन का प्रावधान है. लॉकडाउन एक इमरजेंसी जैसी स्थिति होती है जिसमें निजी , सारकारी दफ्तर, निजी संस्थाएं, सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद रहते हैं. ये सरकार द्वारा अस्थायी तौर पर अपनाया गया सिस्टम होता है. इसका केवल एक ही मकसद होता सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ाना. जो किसी महामारी को फैलने से रोकना होता है.कोरोना के प्रसार को केवल और केवल सोशल डिस्टेंसिंग से ही रोका जा सकता है. 1897 में जब तब के बांबे और अब के मुंबई में प्लेग फैला था तो ये कानून बना था. इसका सेक्शन 2 राज्यों, सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को महामारी फैलने से रोकने के लिए कुछ विशेष उपाय करने की शक्तियां देता है. 1890 के दशक में प्लेग की महामारी से निपटने के लिए इसे बनाया गया था.

वहीं कर्फ्यू आईपीसी की धारा 144 के तहत लगता है. सरकार या प्रशासन का वो आदेश जो लोगों को बाहर सड़कों पर निकलने से रोकता है. आम तौर पर यह दंगे या आंतकवाद या उसकी संभावना की स्थिति में लगाया जाता है. इसमें मार्केट, स्कूल, कॉलज बंद रहते हैं और आम तौर पर अस्पतालों को छोड़ कर बाकी सब बंद रहता है. अगर कोई कर्फ्यू का पालन ना करे तो सरकार उस पर जुर्माना लगा सकती है या उसे हिरासत में ले सकती है. कर्फ्यू के दौरान बलपूर्वक लोगों को कुछ तय दिनों या कुछ घंटों के लिए घरों में रखा जाता है.

इसके अलावा भी कुछ अंतर

– लॉकडाउन में कोई सभा या रैली पर कुछ पाबंदियां होती हैं लेकिन सेक्शन 144 में सभा पर प्रतिबंध लग जाता है. लॉकडाउन में पांच से अधिक लोग एक जगह इकठ्ठा नहीं हो सकते लेकिन, सेक्शन 144 में केवल पुलिस और प्रशासन के लोग ही सड़क पर नजर आते हैं.

– लॉकडाउन में बाहर निकलने के लिए आपको किसी पास की जरूरत नहीं होती है, लेकिन कर्फ्यू में बाहर सड़क पर निकलने के लिए आपको स्थानीय प्रशासन ने एक पास की जरूरत पड़ती है.

– लॉकडाउन में ज़रूरी सेवाएं चालू रहती हैं जबकि कर्फ्यू में अस्पलालों को छोड़कर आमतौर पर सब बंद हो जाता है.

– लॉकडाउन में राशन, दूध, सब्जी की दुकानें खुलती हैं. कर्फ्यू में राशन दूध, सब्जी की दुकानें बंद रहती हैं.

– पुलिस कुछ देर के लिए कर्फ्यू में ढ़ील दे सकती है लॉकडाउन में आप जरूरी सामान लेने अपने घर से बाहर निकल सकते हैं. लेकिन कर्फ्यू में आप तभी निकल सकते हैं जब पुलिस छूट दे.

– लॉकडाउन तोड़ने पर आईपीसी की धारा 269 , 270 के तहत कार्रवाई होती है. लॉकडाउन में कोर्ट की इजाजत के बिना गिरफ्तारी संभव नहीं.

– लॉकडाउन में प्रशासन के हाथ बंधे होते हैं और कर्फ्यू में प्रशासन के पास कार्रवाई का पूरा अधिकार होता है

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