अंबाला: पंजाब के लुधियाना से पैदल चलकर करीब 100 किलोमीटर का सफर तय करके हरियाणा के अंबाला पहुंचे एक प्रवासी मजूदर की पत्नी ने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कुछ ही देर में नवजात की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि जतिन राम और उसकी गर्भवती पत्नी बिंदिया हाल ही में लुधियाना से बिहार अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकले थे. जब ये दोनों अंबाला शहर पहुंचे तो बिंदिया को प्रसव पीड़ा होने पर पुलिस की सहायता से सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया लेकिन वह जीवित नहीं बच सकी.
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उन्होंने यहीं बच्ची का अंतिम संस्कार किया. राम ने बताया कि विशेष ट्रेन में टिकट नहीं मिलने पर वह पत्नी बिंदिया के साथ पैदल ही अंबाला के लिए निकल पड़ा. बिंदिया काफी कमजोर थी क्योंकि गर्भवती रहने के दौरान उसे पर्याप्त पोषणयुक्त खुराक नहीं मिल सकी.
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आगे राम ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट जाने के कारण उसके पास पैसे की भी तंगी थी. अंबाला छावनी के एक गैर सरकारी संगठन ने उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था की. संगठन ने दंपति को श्रमिक विशेष ट्रेन के जरिए सुरक्षित बिहार भेजने का प्रबंध करने का भी आश्वासन दिया.
बिहार की बेटी की चर्चा: इधर, इन दिनों बिहार की एक बेटी की चर्चा जोरों पर हो रही है. 15 वर्षीय ज्योति कुमारी पासवान लॉकडाउन के दौरान अपने बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से 1,200 किलोमीटर दूर बिहार के दरभंगा ले कर पहुंची है. केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने खेल मंत्री किरण रिजिजू से ज्योति कुमारी पासवान को साइक्लिंग का प्रशिक्षण दिलाने में मदद का अनुरोध किया है. उन्होंने ट्वीट किया, बिहार की युवा लड़की की ताकत को देखा जो अपने पिता को साइकिल पर पीछे बैठकार गुरुग्राम से दरभंगा करीब एक हजार किलोमीटर दूर ले गई. प्रसाद ने खेल मंत्री किरण रिजिजू से भी बात की और लड़की को प्रशिक्षण दिलाने में मदद करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, खेल मंत्री से भी बिहार की बहादुर लड़की – ज्योति कुमारी पासवान को प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति मुहैया कराने के अनुरोध करता हूं ताकि अगर वह इच्छुक हो तो वह मशहूर साइक्लिस्ट बन सके.