Lockdown के दौरान कर्मचारियों को अप्रैल का पूरा वेतन दे कंपनी, सरकार के इस आदेश को SC में चुनौती
coronavirus Lockdown, coronavirus Update लॉकडाउन के दौरान निजी कंपनियों के कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. देश की शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण कमाई नहीं हो रही ऐसे में हम वेतन और मेहनताना कहां से दें. यह संभव नहीं है.
लॉकडाउन के दौरान निजी कंपनियों के कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. देश की शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण कमाई नहीं हो रही ऐसे में हम वेतन और मेहनताना कहां से दें. यह संभव नहीं है. लुधियाना के हैंड टूल्स एसोसिएशन ने यह याचिका गुरुवार को दाखिल की है.
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‘भाषा’ के मुताबिक, हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र रल्हान ने कहा कि लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से उद्योग पूरी तरह से बंद हैं और कोई काम नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, पाबंदियों के कारण हम न तो निर्यात कर पा रहे हैं और न ही घरेलू बाजार में कुछ बेच पा रहे हैं. ऐसे में कोई कमाई नहीं हो रही. हम वेतन और मेहनताना कहां से दें. यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि संगठन ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और गृह मंत्रालय द्वारा 29 मार्च को जारी आदेश को रद्द करने, तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10(2) की वैधता को चुनौती दी है.
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याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 केंद्र सरकार को लॉकडाउन के दौरान निजी प्रतिष्ठानों को कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का निर्देश देने का अधिकार नहीं देता है. 29 मार्च 2020 को जारी सरकारी आदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1948 का उल्लंघन करता है. औद्योगिक विवाद अधिनियम 1948 प्राकृतिक आपदा के दौरान 50 प्रतिशत वेतन देने की व्यवस्था करता है. सरकार ने निजी प्रतिष्ठानों की वित्तीय क्षमता पर विचार किये बिना हड़बड़ी में यह आदेश जारी कर दिया है.
हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष ने कहा कि जब भविष्य निधि मदों तथा कर्मचारी राज्य बीमा निगमों के सैंकड़ों करोड़ ऐसे रुपये बैंकों में पड़े हैं, जिनके लिये किसी ने दावा नहीं किया है और उसके एवज में ब्याज से आय हो रही है, ऐसे में निजी प्रतिष्ठानों को पूरा वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया जाना पूरी तरह से अतार्किक और मनमाना फैसला है.
महाराष्ट्र की कंपनी ने भी की ऐसी ही मांग
पिछले सप्ताह महाराष्ट्र की एक टेक्सटाइल कंपनी ने भी ऐसी ही याचिका दाखिल की थी. हालांकि, महाराष्ट्र की ट्रेड यूनियन ने भी टेक्सटाइल कंपनी की याचिका में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर कहा है कि पूर्ण वेतन पाना कर्मचारियों का अधिकार है. वैसे, ये याचिकाएं अभी तक सुनवाई पर नहीं लगीं हैं. इसी बीच लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन की ओर से ये नई याचिका दाखिल हो गयी है.