कारोना के चलते हुए लॉकडाउन के बुरे परिणाम अब छत्तीसगढ़ में भी सामने आने लगे हैं. भूख से परेशान लोग पैदल ही अपने घरों को लौट रहे हैं. ऐसे में तेलंगाना के पेरूर से छत्तीसगढ़ के बीजापुर लौट रही 12 साल की बच्ची की घर पहुंचने से पहले ही मौत हो गयी. बच्ची तीन दिन पैदल चलते हुए तेलंगाना से गांव के मजदूरों के साथ पहुंची थी. यहां आते ही वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो गयी. अपने गांव से महज 14 किमी पहले बच्ची ने दम तोड़ दिया.
उसके साथ गांव के 11 दूसरे लोग भी थे, लेकिन जंगल के रास्ते उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका. साथ के लोगों ने बताया कि उस बच्ची के पेट में दर्द हो रहा था. बीजापुर के आदेड़ गांव की रहने वाली जमलो मड़कम रोजगार की तलाश में दो महीने पहले तेलंगाना के पेरूर गांव गई थी. अनुराग द्वारी नामक एक यूजर ने ये वीडियो ट्विटर पर डाला है.
12 साल की एक नाबालिग बच्ची अपने परिवार का पेट भरने के लिए बीजापुर के आदेड से रोजगार की तलाश में तेलंगाना के पेरूर गयी थी #lockdownindia में लगातार 3 दिनों तक पैदल सफर करने डी हाइड्रेशन का शिकार होकर मासूम बच्ची की मौत हो गयी @ndtvindia #COVID #ServeNeedyInLockdown pic.twitter.com/0fgP04vyvJ
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) April 21, 2020
एनडीटीवी के मुताबिक, करीब 100 किमी का जंगली सफर तय कर प्रवासी मजदूरों का दल 18 अप्रैल को बीजापुर के मोदकपाल तक पहुंचा था. इसी दौरान बच्ची कि मौत हो गई.बच्ची की जहां मौत हुई वहां से उसका घर 14 किलोमीटर दूर था. उसकी मौत की खबर के बाद प्रशासन की टीम गांव पहुंची. इकलौती बेटी की मौत की खबर मिलने पर पिता आंदोराम मडकम और मां सुकमती मडकम जिला अस्तपाल पहुंचे।
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बीआर पुजारी ने बताया कि बच्ची के शव को बीजापुर लाने के साथ ही सभी मजदूरों को कोरेंटाइन किया गया है. शव की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आयी है. संभावना है कि गर्मी के कारण से शरीर में इलेक्ट्रॉल इंबेलेंस या पानी की कमी होने की से बच्ची की मौत हुई होगी. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बच्ची के मौत का कारण साफ हो सकेगा. राज्य सरकार ने मामले की जानकारी मिलने के बाद बच्ची के परिजनों के लिए एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है.