नयी दिल्ली : केंद्र ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनों से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की आवाजाही को रोकने के लिए प्रभावी तरीके से राज्य और जिलों की सीमा सील करने को कहा है और आगाह किया कि पाबंदी का उल्लंघन करने वालों को 14 दिन के लिए पृथक केंद्र भेजा जाएगा.
मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने उनसे सुनिश्चित करने को कहा कि शहरों में या राजमार्गों पर आवाजाही नहीं हो क्योंकि लॉकडाउन जारी है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया, देश के कुछ हिस्सों में प्रवासी कामगारों की आवाजाही हो रही है. निर्देश जारी किए गए हैं कि राज्यों और जिलों की सीमा को प्रभावी तरीके से सील करना चाहिए.
राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि शहरों में या राजमार्गों पर लोगों की आवाजाही नहीं हो. केवल सामान को लाने-ले जाने की अनुमति होनी चाहिए. सरकारी बयान में कहा गया कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों और इस अवधि में यात्रा करने वालों को सरकारी पृथक केंद्र में 14 दिन के लिए भेज दिया जाएगा.
अधिकारी ने बताया कि इन निर्देशों का पालन करवाने के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की निजी तौर पर जिम्मेदारी बनती है. केंद्र सरकार के दोनों आला अधिकारियों ने सभी राज्यों के पुलिस और प्रशासन के प्रमुखों से प्रवासी कामगारों सहित जरूरतमंद और गरीब लोगों को खाना और आश्रय मुहैया कराने के लिए समुचित इंतजाम करने को कहा.
कैबिनेट सचिव और गृह मंत्रालय के अधिकारी राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ लगातार संपर्क में हैं। कैबिनेट सचिव और गृह सचिव ने मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ शनिवार शाम के साथ रविवार सुबह भी वीडियो कॉन्फ्रेंस की.
बयान में कहा गया, यह उल्लेख किया जाता है कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लॉकडाउन प्रभावी तरीके से लागू हो. आवश्यक सामानों की आपूर्ति भी बनाए रखें. लगातार हालात की निगरानी की जा रही है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने शनिवार को इस उद्देश्य के लिए राज्य आपदा मोचन बल के कोष के इस्तेमाल करने को लेकर आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया कि राज्यों के पास इस संबंध में समुचित कोष उपलब्ध हैं.
राज्यों से लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को उनके कार्यस्थल पर बिना किसी कटौती के समय पर वेतन भगुतान करने के लिए भी सुनिश्चित करने को कहा गया है. बयान में कहा गया कि इस अवधि में मकान के किराये में भी बदलाव नहीं होना चाहिए. मजदूरों या छात्रों से जो लोग परिसर खाली करने को कहेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
अपने मूल स्थानों के लिए परिवहन की तलाश में रविवार को सैकड़ों प्रवासी श्रमिक बंद का उल्लंघन करते हुए चंगनास्सेरी के पास की सड़कों पर उतर आये. घटना पयिप्पड़ गांव की बताई गई है.
अधिकारियों ने बताया कि सैकड़ों प्रवासी श्रमिक सड़क पर हैं, वे अपने मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की सुविधा चाहते हैं. सरकारी प्राधिकारियों ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लॉकडाउन जारी रहने तक भोजन और आवास उपलब्ध कराया जाएगा. केरल के पर्यटन मंत्री के सुरेंद्रन ने कहा, अगर उनकी यात्रा के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जाती है, तो हम उनकी यात्रा को सुगम बनाएंगे.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते आजीविका पर विराम लग जाने के बाद दूरदारज के क्षेत्रों में स्थित अपने घर लौटने की उम्मीद में हजारों प्रवासी मजदूरों की भीड़ कोरोना वायरस के खतरे की परवाह न करते हुए शनिवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर उमड़ पड़ी.
महिलाओं, बच्चों सहित ये लोग यहां आनंद विहार बस अड्डे पर बसों में सवार होने के लिए लंबी लाइनों में लगे थे. उनके सिर पर सामान लदा था. कुछ ने मास्क लगा रखा था तो कुछ ने नहीं. इससे पहले आज दिन में उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि देशव्यापी बंद की घोषणा के चलते सीमावर्ती जिलों में फंसे प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए उसने एक हजार बसों की व्यवस्था की है.
दिल्ली सरकार ने भी घोषणा की कि उसने सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गृह राज्य पैदल जाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए 100 बसों का प्रबंध किया है. हालांकि पुलिस ने लोगों को तीन लाइनों में खड़ा कर रखा था, लेकिन ये सर्पाकार कतारें खत्म होती नहीं दिख रही थीं.
इन लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन जाने से वे अब अपने नगरों, गांवों को लौटना चाहते हैं. खचाखच भरी बसों में सवार होने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा था. कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के उद्देश्य से पुलिस को खचाखच भरी बसों से लोगों को उतारना भी पड़ा. धर्मार्थ कार्यों से जुड़े लोगों ने इन लोगों को आगे की यात्रा के लिए भोजन वितरित किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 21 दिन के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की थी जिसके बाद सड़क, रेल और हवाई यातायात सहित सभी तरह का परिवहन बंद हो गया. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा जिसके बाद हजारों लोगों विभिन्न राज्यों में स्थित अपने घरों की ओर पलायन शुरू कर दिया.
परिवहन के अभाव में बड़ी संख्या में ये लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर वापस जाने लगे. लोगों के पैदल अपने घरों की ओर जाने के दृश्यों के बीच दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने बसों की व्यवस्था की जिससे दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर भारी भीड़ लग गई.
अलीगढ़ जा रहे 24 वर्षीय एक व्यक्ति ने कहा कि लॉकडाउन के चलते उसकी फैक्टरी बंद हो जाने से उसके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है. इसलिए वह वापस जाना चाहता है. भीड़ में शामिल किसी व्यक्ति को अमेठी जाना था तो किसी को गोरखपुर, किसी को इटावा जाना था तो किसी को एटा या लखनऊ. बिहार के प्रवासी मजदूरों की भी भारी भीड़ लगी थी जो बसों के गंतव्य स्थल के बाद फिर अपने राज्य की यात्रा शुरू करेंगे.