Coronavirus New Variants: कोरोना कैसे फेफडों को पहुंचाता है नुकसान, माइटोकॉन्ड्रिया पर करता है टारगेट
गंभीर कोरोना संक्रमित निमोनिया वाले लोग अक्सर असामान्य रूप से कम ऑक्सीजन के स्तर के साथ अस्पताल पहुंचते हैं. वह अन्य प्रकार के निमोनिया के रोगियों से दो तरह से अलग होते हैं. पहला, उनके निचले वायुमार्ग में व्यापक क्षति होती है.
दुनियाभर में एक बार फिर से कोरोना वायरस ने अपनी दमदार मौजूदगी दिखायी है. चीन के संघाई में तो लाखों की संख्या में मामले आने के बाद लॉकडाउन तक लगा दिया गया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना का नया स्वरूप और भी खतरनाक है. इसमें तेजी से लोग संक्रमित हो सकते हैं. कोरोना खतरे के बीच एक रिपोर्ट सामने आयी है, जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस किस तरह से लोगों के फेफडों को नुकसान पहुंचाता है. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस किस तरह से माइटोकॉन्ड्रिया को भी अपना निशाना बनाता है.
अन्य निमोनिया रोगियों से कैसे अलग है निमोनिया से ग्रसित कोरोना संक्रमित व्यक्ति
गंभीर कोरोना संक्रमित निमोनिया वाले लोग अक्सर असामान्य रूप से कम ऑक्सीजन के स्तर के साथ अस्पताल पहुंचते हैं. वह अन्य प्रकार के निमोनिया के रोगियों से दो तरह से अलग होते हैं. पहला, उनके निचले वायुमार्ग में व्यापक क्षति होती है. दूसरा, वे रक्त को फेफड़े के गैर-हवादार क्षेत्रों में ले जाते हैं. इसका मतलब है कि रक्त फेफड़ों के उन हिस्सों में जा रहा है जहां उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगा.
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सार्स-कोव-2 माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान पहुंचाता है
रेडॉक्स बायोलॉजी में प्रकाशित खोज बताती है कि कैसे सार्स-कोव-2, कोरोनावायरस जो कोविड-19 निमोनिया का कारण बनता है, रक्त ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है. खोज में पाया गया कि सार्स-कोव-2 वायुमार्ग की उपकला कोशिकाओं को उनके माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान पहुंचाकर मारता है. इसके परिणामस्वरूप निचले वायुमार्ग में द्रव का संचय होता है, जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न होती है. शोध में दिखाया गया कि सार्स-कोव-2 फुफ्फुसीय धमनी की चिकनी मांसपेशियों की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान पहुंचाता है, जो हाइपोक्सिक फुफ्फुसीय वाहिकासंकीर्णन को रोकता है और ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है. भविष्य की महामारियों का मुकाबला करने के लिए हमारी खोज का नयी दवाओं में इस्तेमाल होने की उम्मीद है.