कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की रोक थाम और उससे बचाव के लिए हर दिन नये नये शोध हो रहे हैं. शोध में इसके फैलने के तरीके और उससे बचने के तरीकों पर काम चल रहा है. कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर किए गये हालिया शोध से पता चला है कि कोरोना टेस्टिंग में देरी और ट्रेसिंग में लापरवाही के कारण कोरोना का अधिक प्रसार हो रहा है. इपीरियल कॉलेज के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एक प्रोफेसर निकोलस ग्रासली ने अपने नये शोध में एक चेवानी जारी कि है. निकोलस के मुताबिक सिर्फ टेस्टिंग और ट्रेसिंग से हम कोरोना को मात नहीं दे सकते हैं.
निकोलस ने नये शोध में खुलासा किया है कि कोरोना टेस्टिंग और संपर्कों की ट्रेसिंग से कोरोना मामलों की संख्या कम करने में मदद मिल सकती है. लेकिन ऐसा करने के लिए प्रभावी ढंग से और जल्दी से जल्दी जांच और ट्रेसिंग करने की आवश्यकता है. शोध में पाया गया कि अगर शुरूआती लक्षणों के तुरंत जांच किया जाये और 24 घंटे के अंदर परिणाम आने के साथ ही संपर्कों की जांच की जाये और उन्हें कोरेंटिन किया जाये तो कोरोना संक्रमण के नये मामलों में 80 फीसदी तक कंमी आ सकती है. दक्षिण कोरिया, ताइवान और जर्मनी जैसे देशों में इन गाइडलाइंस को फॉलो किया गया, जिससे इन देशों में मामले काफी कम हो गये हैं. जबकि फ्रांस में पीसीआर टेस्ट कराने के लिए एक दिन लगता है और रिपोर्ट आने में औसत साढ़े तीन दिन लगते हैं.
अगर भारत की बात करें यहां रियल टाइम पीसीआर ने नमूनो का परीक्षण करने में लगने वाले समय को चार घंटे तक कम कर दिया है हलांकि पहले इस प्रक्रिया में छह घंटे का समय लगता था. पर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया में कुल मिलाकर सैंपल लेने और रिपोर्ट देने तक का समय में लगभग 24 घंटे लग ही जाते हैं. प्राइवेट लैब्स भी टेस्ट के बाद रिपोर्ट देने में इतना ही समय लेती है.
भारत में रैपिड टेस्ट भी हो रहे हैं. पर ट्रेसिंग में यहां थोड़ी परेशानी होती है. आज स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 64,531 नए मामले सामने आए और 1092 मौतें हुईं. देश में अब कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 27,67,274 है, जिसमें 6,76,514 सक्रिय मामले है. अब तक लोग 20,37,871 डिस्चार्ज हो चुक हैं. कोरोना से अब तक देश में 52,889 मौतें हो चुकी है.
Posted By: Pawan Singh