भारत में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के अबतक 358 मामले सामने आ चुके हैं. अब तक जिन 183 मामलों का विश्लेषण किया गया उनमें से 121 में यह बात साफ हुई है कि इन्होंने विदेश यात्रा की थी. उक्त जानकारी आज स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सचिव राजेश भूषण ने दी.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह बताया गया है कि ओमिक्रॉन के 183 मामलों जिनका विश्लेषण किया गया है उनमें से 91 प्रतिशत मरीजों ने टीके की दोनों खुराक ली है. इनमें से तीन मरीज ऐसे हैं जिन्होंने बूस्टर डोज भी लिया था. इन लोगों में से 70 प्रतिशत लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं दिख रहे हैं वहीं संक्रमित लोगों में से 61 प्रतिशत पुरुष हैं.
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देश में आ चुके हैं ओमिक्रॉन के 358 मामले
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183 केस का हुआ विश्लेषणा जिसमें 70 प्रतिशत में कोई लक्षण नहीं
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संक्रमितों में से 91 प्रतिशत ने ली है वैक्सीन की दोनों डोज
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह बताया गया है कि विश्व में कोविड 19 की चौथी लहर विश्व में चल रही है. वहीं संक्रामकता की दर 6.1 प्रतिशत है. ऐसे में कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लघंन किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकता है.
डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए कहा स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है और इसके मामले 1.5 से तीन दिन में दोगुना हो रहे हैं.
राजेश भूषण ने कहा कि अभी देश में पांच ऐसे राज्य हैं जो चिंता की वजह हैं जिनमें केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक शामिल है. ओमिक्रॉन के इलाज के लिए वहीं ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल है जो डेल्टा वैरिएंट के लिए था. केरल और मिजोरम में कोविड-19 मामलों की संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है, जो चिंता का कारण है.
केंद्र सरकार ने कहा कि देश के 20 जिलों में कोविड-19 की साप्ताहिक संक्रमण दर 5 से 10 प्रतिशत के बीच, दो जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक है. भारत में अभी तक मुख्य स्वरूप डेल्टा ही बना हुआ है, इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन और वैक्सीनेशन को बढ़ाये जाने की सख्त जरूरत है.