दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके अलावा 300 से ज्यादा संदिग्ध दिल्ली के दो अस्पतालों में कोरंटाइन कराए गए हैं. वहीं, तेलंगाना के छह लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हो गयी है. ये निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस मामले के चलते सरकार चिंतित है तो लोग खौफ में हैं. इसमें शामिल हुए 10 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. इसमें से छह तो सिर्फ तेलंगाना से हैं. निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के आयोजन को लेकर अब घोर लापरवाही की बातें सामने आ रही है. इस आयोजन को नहीं रोक पाने को लेकर राज्य की अरविंद केजरीवाल सरकार भी घिरती जा रही है. तबलीगी जमात के मरकज में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग इस कार्यक्रम में आए थे. अब केंद्र और राज्य सरकारें इन सभी लोगों को ढूंढकर उनकी जांच करने में जुटी हैं, क्योंकि इस धार्मिक कार्यक्रम में मलेशिया और इंडोनेशिया के भी कुछ लोग शामिल हुए थे.
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मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था. लेकिन फिर भी वो लोग हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज अपना रहे थे. भारत में अंग्रेजों की हुकूमत आने के बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का अभियान शुरू किया था, कहा जाता है कि इसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने 1926-27 दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद में कुछ लोगों के साथ तबलीगी जमात का गठन किया. इसे मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू किया. तबलीगी जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम भारत में 1941 में हुआ था, जिसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं.
तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला. जमात का मतलब होता है समूह, यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह. मरकज का मतलब होता है बैठक के लिए जगह. दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं. इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है. तबलीगी जमात के मुख्य उद्देश्य ‘छ: उसूल जैसे-कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग थे. इन्हीं उद्देश्यों को लेकर तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग देश और दुनिया भर में लोगों के बीच जाते हैं और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करते हैं. तबलीगी जमात में जाने वाला शख्स अपने पैसे खुद लगाता है.
तबलीगी जमात से जुड़े उलेमाओं का दावा है कि जमात दुनिया के हर एक देश में फैली हुई है. जमात से दुनियाभर में करीब 15 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं. उलेमाओं का दावा है कि जमात कोई सरकारी मदद नहीं लेती है. जमात की अपनी कोई बेवसाइट, अखबार या चैनल नहीं है. भारत में जमात का मुख्यालय दिल्ली में हज़रत निजामुउद्दीन दरगाह के पास मरकज के नाम से है. जमात की एक खास बात ये है कि ये अपना एक अमीर (अध्यक्ष) चुनते हैं और उसी के अनुसार सारे कार्यक्रम होते हैं.