देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच लॉकडाउन आगे बढ़ेगा या नहीं? बहुत से लोगों की जुबान पर सिर्फ यही एक सवाल है. केंद्र सरकार अभी खुलकर जवाब नहीं दे रही. राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन को आगे बढ़ाना चाहते हैं, फैसला केंद्र पर छोड़ा है. सब कह रहे हैं कि जो होगा, चरणबद्ध तरीके से होगा. इस बीच, कोरोना वायरस को लेकर बने केंद्रीय मंत्रियों के समूह ने अहम सिफारिश की है. वो चाहता है कि चाहे लॉकडाउन आगे बढ़े या ना बढ़े, 15 मई तक देश के सभी शैक्षणिक संस्थाएं (स्कूल/कॉलेज) बंद रखे जाएं. साथ ही सभी तरह की सामूहिक धार्मिक गतिविधियों पर रोक जारी रहे. इस दौरान मॉल भी बंद रखे जाएं.
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हालंकि इस बैठक में लॉकडाउन को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया. बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया कि इस हफ्ते स्थिति देखने के बाद ही लॉकडाउन को लेकर फैसला लिया जाएगा. लेकिन कोरोना के मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या और राज्यों की ओर से उठती मांग को देखते हुए लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद भी कुछ दिन और बढ़ाया जा सकता है. ध्यान देने की बात है कि सरकार लॉकडाउन को खत्म करने को लेकर एक विस्तृत प्लान पर विचार कर रही है, ताकि कोरोना को फैलने से रोका भी जा सके और देश के बाकि हिस्से में आर्थिक गतिविधियों को शुरू भी किया जा सके. ये हैं वो पांच कारण जिससे लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है.
दिल्ली, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही राजस्थान की सरकार 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म किए जाने के पक्ष में नहीं है. ज्यादातर सरकारों का मानना है कि अचानक से लॉकडाउन हटा दिया गया तो हालात बिगड़ सकते हैं. ऐसे में वह स्थितियों का आकलन और विशेषज्ञों से विमर्श करेंगी, जिसके बाद ही निर्णय लेंगी. उनका मानना है कि उन जिलों में लॉकडाउन जारी रखा जाएगा, जहां से कोरोना पीडि़तों के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
कई राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन से मिले संक्रमण के फैलाव के सीमित होने के फायदे को खोना नहीं चाहते. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी इसके पक्ष में हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सचिवालय भी कुछ छूट के साथ लॉकडाउन के साथ जारी रहने के पक्ष में है. मध्यप्रदेश के सचिवालय के सूत्र ने भी लॉकडाउन के फायदे गिनाए हैं. 13 अप्रैल को इस पर अंतिम निर्णय होने के आसार हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि देश में कुछ राज्य और 100 के करीब क्षेत्र संवेदनशील बने हैं. विशेष सतर्कता की आवश्यकता 62-65 स्थानों पर महसूस की जा रही है. ऐसे में कुछ सहूलियत देकर लॉकडाउन को आगे जारी रखने का निर्णय होने के आसार हैं.
लॉकडाउन होने के बाद देश में संक्रमण के मामले सामान्य थे. मगर दिल्ली में तबलीगी जमातियों के कार्यक्रम के खुलासे के बाद अचानक से संक्रमण के मामले काफी तेज हो गए. देश में अभी जितने भी मामले में हैं उनमें जमातियों की संख्या करीब-करीब आधी है. करीब 2000 लोग दिल्ली के निजामुद्दिन स्थित मरकज से निकाले गये. इनमें से करीब 100 लोग कोरोना की चपेट में थे. यहां करीब 4500 शामिल हुए थे जो कार्यक्रम खत्म होने के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में चले गये. उनकी पहचान अब तक पूरी नहीं हो पायी है. हालात ऐसे हो गये हैं कि सभी राज्य सरकारों ने अब अंतिम चेतावनी दे दी है. जबतक उनकी पहचान पूरी तरह से नहीं हो जाती और उनकी जांच नहीं की जाती तबतक लॉकडाउन हटाना संभव नहीं है.
वहीं कोरोना संक्रमण में किसी नरमी के संकेत नहीं मिलने के बीच सरकार इस मंथन में जुट गई है कि आखिर इससे बाहर आने का रास्ता कैसे बने। फिलहाल जो मेगा प्लान प्रस्तावित है उसके तहत सभी राज्यों को चार कैटेगरी में बांटा जाएगा और उसी हिसाब से अलग-अलग राज्यों या फिर जिलों में लॉकडाउन हटाने और सेवा शुरू करने के बारे में सोचा जा रहा है। इनमें ज्यादा एक्टिव कोरोना वाले इलाकों में लॉकडाउन से छूट नहीं दी जाएगी। लेकिन जिन राज्यों में पिछले सात दिन से कोरोना का कोई भी मामला सामने नहीं आया हो, वहां राहत मिल सकती है। नए केस आने की स्थिति में नए सिरे से प्रतिबंध भी लगाए जा सकते.
एम्स के डॉ. गुलेरिया के मुताबिक जिन हॉटस्पॉट एरिया में कोरोना संक्रमण के बढ़ने की प्रतिदिन रफ्तार आज भी दोगुनी है, उन इलाकों में लॉकडाउन को फिलहाल के लिए नहीं हटाया जा सकता. ये संभव भी नहीं होगा, क्योंकि वहां लॉकडाउन हटाने का मतलब होगा, कोविड-19 के मरीजों का एकदम से बढ़ जाना. जिन जगहों पर आज तक कोई कोरोना के मामले सामने नहीं आए हैं. वहां हम धीरे-धीरे लॉकडाउन हटा सकते हैं. पूरे देश में कुल 274 ऐसे ज़िले हैं, जहां अब तक कोरोना के मरीज मिले हैं. देश भर में 700 से ज्यादा जिले हैं. ऐसे में लगता है कि 14 अप्रैल के बाद तकरीबन 450 जिलों में लॉकडाउन में ढील दी जा सकती है.देश भर में कोरोना संक्रमण के अब तक 4000 से अधिक मामले आ चुके हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल हम हर पांचवे दिन मरीजों की संख्या को डबल कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने कई बार कहा है कि ये रफ्तार और धीमी होती अगर तबलीगी जमात मरकज से इतनी बड़ी संख्या में मरीज सामने नहीं आते.
पहला- लॉकडाउन आगे जारी रखने पर अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर पड़ेगा. क्या सरकार आगे उसकी भरपाई करने में सक्षम होगी?
दूसरा – क्या लॉकडाउन खोलना बड़ी आबादी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा?
तीसरा – उद्योग जगत के सवालों को भी सरकार को लॉकडाउन के फ़ैसले के साथ जोड़ कर देखना होगा. लॉकडाउन को आगे बढ़ाना या ख़त्म करना भारत के निर्यात-आयात, दूसरे देशों के साथ रिश्तों और देश के बाक़ी उद्योग पर कितना असर डाल रहा है.
चौथा – गरीब आप्रवासी मजदूरों की हालात. उन तक सरकार अपनी कितनी पहुंच बना पाई है. उनकी समस्याएं क्या हैं और क्या उसका निदान सरकार पूरी तरह से कर पा रही है. यही वजह है कि केंद्र ने लॉकडाउन पर राज्य सरकारों से सुझाव भी मांगा है. बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी अलग-अलग राजनीतिक दलों से बातचीत कर उनसे भी इस विषय पर चर्चा करने वाले हैं.