देशभर में जिस तरह से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अब जांच की रणननीति बदल दी है. इसके लिए भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (ICMR) ने एडवाइजरी जारी की है. इसके मुताबिक, जहां से कोरोना वायरस के संक्रमण के ज्यादा मामले आए हैं, उन क्लस्टर या हॉटस्पॉट इलाकों में एंटीबॉडी-आधारित ब्लड टेस्ट करने की सलाह दी है. दरअसल, भारत में कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट के तौर पर उभरे इलाकों में क्या सामुदायिक स्तर पर संक्रमण हो रहा है, यह जांचने के लिए ही आईसीएमआर ने अपनी रणनीति बदली है. क्लस्टर केस वाले इलाकों में जल्द नतीजों के लिए रैपिड ऐंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा. इसमें कोई पॉजिटिव पाया गया तो उसकी पष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा. कोरोना वायरस की सटीक जानकारी के लिए स्वैब के जरिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है. यह गले या नाक से लिया जाता है. एडवाइजरी में उन मरीजों को 14 दिन होम कोरेंटाइनन के लिए कहा गया है, जिनमें इंफ्लूएंजा के लक्षण जैसे कि खांसी, बुखार या जुकाम हो. इसके बाद रैपिड एंटीबॉडी-आधारित ब्लड टेस्ट करवाने की बात कही गयी है.
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कोरोना की जांच के लिए विभिन्न विभागों से संबंद्ध लैब को अधिकृत करने के साथ ही आईसीएमआर ने ब्लड सेंपल्स से एंटीबॉडी टेस्ट की मंजूरी दे दी है. इस टेस्ट का रिजल्ट 15 से 20 मिनट में मिल जायेगा. एंटीबॉडी टेस्ट की एक सुविधा यह भी है कि कम समय में ज्यादा लोगों की जांच हो सकती है. इससे जो इलाके कोरोना से अधिक प्रभावित हैं वहां मरीजों की पुष्टि जल्दी करने के साथ उनका समय से इलाज करने में सुविधा होगी. सरकार ने अभी तक पीसीआर (पेरीमिरेज चेन रियेक्शन) टेस्ट की अनुमति दे रखी थी. मरीज के नाक व गले से लिए गये स्वाब (तरल नमूनों) की इस जांच में अभी काफी वक्त लग रहा था.
आईसीएमआर ने कहा है कि इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों से जुड़े मामलों की अस्पतालों में निगरानी की जाएगी. इस बात की निगरानी की जाएगी कि क्या इस तरह के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. अगर ऐसा हुआ तो इसकी सर्विलांस ऑफिसर या चीफ मेडिकल ऑफिसर को जानकारी दी जाएगी ताकि आगे की जांच हो सके. आईसीएमआर के डॉक्टर आर. गंगा खेडकर ने एएनआई को बताया कि हमने ऐसे कई हॉटस्पॉट एरिया की पहचान की है जहां कोरोना वायरस के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. अगर रैपिड ऐंटी-बॉडी टेस्ट में किसी शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे 14 दिनों के लिए कोरेंटाइन में भेजा जाना चाहिए. इसके अलावा पुष्टि के लिए उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाना चाहिए.
आरटी-पीसीआर भी निगेटिव आता है- तो इसका मतलब होगा कि उन्हें कोविड-19 से अलग इंफ्लुएंजा हो सकता है.
अगर आरटी-पीसीआर पॉजिटिव आता है- तो उन्हें कोरोना का कंफर्म मामला माना जाएगा और प्रोटोकॉल के हिसाब से कदम उठाए जाएंगे ताकि उन्हें अलग किया जा सके, इलाज दिया जा सके और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान की जा सके.
उन्होंने कहा कि हमने हेल्थवर्करों के लिए फ्रेश गाइडलाइंस जारी किए हैं जिसके मुताबिक रैपिड ऐंटी-बॉडी टेस्ट करने वाले सभी स्वास्थ्य क्रमियों को ग्लव्स, मास्क और हेडकवर्स का इस्तेमाल करना चाहिए. किसी संदिग्ध के गले या नाक से सैंपल लेते वक्त स्टैंडर्ड नेशनल इन्फेक्शन कंट्रोल गाइडलाइंस का पालन करना होगा. आईसीएमआर की ओर से कहा गया कि यह वायरस बहुत ही खतरनाक है. इसका नमूने कई स्तरों से होकर जांच के लिए पहुंचते हैं. किसी भी स्तर पर अप्रशिक्षित कर्मचारी नहीं लगाया जा सकता. जरा सी भी लापरवाही में यह वायरस लैब को संक्रमित कर सबके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.