COVID-19: दावा- नहीं चेते तो मई के दूसरे हफ्ते तक भारत में 13 लाख लोग हो सकते हैं बीमार!

हो सकता है कि 21 दिन के लॉकडाउन से आप परेशान हों, लेकिन कोरोना जैसे संक्रामक वायरस को रोकने के लिए यही एक सबसे कारगर उपाय है. एक अध्यन में पता चला है कि भारत में अगर कोरोना के मामले बढ़ने की यही रफ्तार रही तो मई के मध्य तक हालात खराब हो सकते हैं.

By Utpal Kant | March 26, 2020 9:13 AM
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देश में कोरोनावायरस से संक्रमण के मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उसके आधार पर मई के दूसरे हफ्ते तक यह आंकड़ा भयावह हो सकता है. हो सकता है कि 21 दिन का लॉकडाउन आपको परेशान कर रहा हो, लेकिन कोरोना जैसे संक्रामक वायरस को रोकने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन ही सबसे कारगर उपाय है. एक अध्यन में पता चला है कि भारत में अगर कोरोनावायरस के मामले बढ़ने की यही रफ्तार रही तो मई के मध्य तक संक्रमण के 10 लाख से 13 लाख तक मामले सामने आ सकते हैं. अध्यन के बाद यह चेतावनी दी है अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने.

वैज्ञानिकों की टीम का नाम कोव-इंड-19 (cov-ind-19) है. इसमें अमेरिका और भारत समेत कई देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं. इनकी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने शुरुआती संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका, इटली और ईरान की तुलना में अच्छे कदम उठाए. लेकिन, एक सबसे बड़ी बात छूट रही है और वो यह है कि यहां संक्रमितों की सही संख्या क्या है. बीते दो पखवाड़े में करीब 65 हजार लोग विदेशों से भारत लौटे हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि देश में कोरोना के 606 मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिनमें से 563 मरीज भारतीय हैं जबकि 43 विदेशी नागरिक हैं. भारत कोरोना वायरस के संक्रमण के दूसरे और तीसरे स्टेज के बीच में है. देश में लॉकडाउन लागू है. पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा करते वक्त चेतावनी दी थी कि अगर लॉकडाउन के नियम हमने नहीं माने तो देश 21 साल पीछे चला जाएगा. शोधकर्ताओं में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और अमेरिका की मिसिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल हैं.

किस आधार पर दी चेतावनी

अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवसिर्टी की शोधकर्ता देबाश्री ने कहा कि भारत में संक्रमितों की संख्या को इसलिए सटीक नहीं माना जा सकता, क्योंकि यहां बहुत कम लोगों की जांच हुई है. व्यापक टेस्ट न होने पर इस वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पता लगा पाना असंभव है. दूसरे शब्दों में कहें तो यह बता पाना मुश्किल है कि अस्पतालों के बाहर कितने लोग संक्रमित हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि जांच की प्रमाणिकता क्या है. कई देशों में शुरुआती जांच में लोगों में लक्षण नहीं दिखे. उन्हें छोड़ दिया गया. बाद में इन्हीं लोगों ने संक्रमण को बढ़ाया. इटली, अमेरिका और स्पेन इसके उदाहरण हैं. वैज्ञानिक के मुताबिक, अमेरिका या इटली में कोविड-19 धीरे-धीरे फैला और फिर अचानक तेजी से मामले आए. मौजूदा अनुमान देश में शुरुआती चरण के आंकड़ों पर है, जो कि कम जांच की वजह से है.

राहत की बात भी

अध्ययन में बताया गया है कि यदि कोरोना वायरस को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए तो 15 मई तक प्रति एक लाख आबादी में से 161 लोग कोरोना के संक्रमण का शिकार बन जाएंगे. अगर देशभर में इस दौरान यातायात प्रतिबंधित कर दिया जाए तो यह संख्या घटकर प्रति लाख आबादी पर 48 रह जाएगी. यातायात प्रतिबंध के साथ अगर लोगों को सोशल क्वारंटाइन कर दिया जाए तो भी प्रति लाख 4 लोग इस संक्रमण का शिकार होंगे. वहीं, एक सप्ताह का संपूर्ण लॉकडाउन कोरोना संक्रमण को एक व्यक्ति प्रति लाख आबादी पर ला सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो तीन सप्ताह का लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को पूरी तरह निष्प्रभावी कर सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि अगर कड़े प्रावधान नहीं किए गए तो वर्तमान दर के हिसाब से 15 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण देश में 4800 तक पहुंच जाएगा. अगले एक महीने में यानी 15 मई तक 9.15 लाख, एक जून तक 14.60 लाख और 15 जून तक 16.30 लाख को पार कर जाएगा.

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