India fight corona: लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक क्यों बढाया जाए? जानें- वो पांच कारण
देश भर के लोग 25 मार्च (लॉकडाउन) से अपने अपने घरों में बंद हैं. ऐसा लग रहा है कि जिंदगी जैसे थम सी गई है. बच्चे इरीटेट होने लगे हैं. घर में रहते रहते जिंदगी बोझिल सी हो गई है. सब बाहर की हवा खाना चाहते हैं. लेकिन कोरोना ऐसा बीमारी है कि घर में रहना मजबूरी नहीं जरूरी है. बहुत ज़रूरी. जान है तो फिर जहान है. चलिए अब बात पते की कर लेते हैं.
देश भर के लोग 25 मार्च (लॉकडाउन) से अपने अपने घरों में बंद हैं. ऐसा लग रहा है कि जिंदगी जैसे थम सी गई है. बच्चे इरीटेट होने लगे हैं. घर में रहते रहते जिंदगी बोझिल सी हो गई है. सब बाहर की हवा खाना चाहते हैं. लेकिन कोरोना ऐसा बीमारी है कि घर में रहना मजबूरी नहीं जरूरी है. बहुत ज़रूरी. जान है तो फिर जहान है. चलिए अब बात पते की कर लेते हैं. माहौल ऐसा हो गया है कि लॉकडाउन खत्म होने का कोई चांस नहीं लग रहा है. देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 7,500 के आंकड़े को पार कर गए हैं. लॉकडाउन की अवधि कुछ ही दिन में पूरी होने वाली है मगर, अब तक कोरोना काबू में नहीं आया है.
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देश के कई राज्य के मुख्यमंत्रियों ने पीएम मोदी से लॉकडाउन 30 अप्रैल तक बढ़ाने की मांग की है. आखिर वो कारण क्या हैं कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाना ही चाहिए. आज की तारीख में जो देश के हालात हैं उसमें लॉकडाउन को समाप्त करना बड़े खतरे को बुलावा देने के समान होगा. शनिवार को प्रधानमंत्र मोदी से दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी परेशानी बतायी साथ ही सरकार के सामने सुझाव भी रखे. आज हम आपको बताएंगे कि लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक क्यों बढाना चाहिए.
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01. अभी दो सप्ताह और चाहिए
केंद्र सरकार ने हालात को नियंत्रण करने के लिए विभिन्न मंत्रियों को राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी थी. उनसे जो रिपोर्ट मिल रही है वह राज्यों की तैयारियों को लेकर काफी महत्वपूर्ण है. जिला प्रशासन और अन्य स्तरों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी पूरी तैयारी करने को कम से कम 2 हफ्ते का समय चाहिए. इस दौरान टेस्टिंग की जाएगी जिससे की पहचान आसान की जा सके. लॉकडाउन की मियाद बढने से हर संदिग्ध की स्क्रिनिंग संभव हो पायेगी. कोराना वायरस तीसरे चरण तक नहीं पहुंच पाएगा.
02. राज्यों की तैयारी काफी नहीं थी..
लॉकडाउन के दौरान तैयारियों को लेकर राज्य और जिला प्रशासन की सुस्ती, अनुभव एवं समझ की कमी सरकार के प्रयासों पर भारी पड़ी है. विभिन्न स्तरों पर हो रही समीक्षा में कई गंभीर तथ्य सामने आये हैं. 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन में पूरे देश को चाक-चौबंद कर प्रभावित की पहचानने का कम पूरा हो जाना था लेकिन अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहां टेस्टिंग का काम भी शुरू नहीं हो पाया है राज्य प्रशासन भी कई जिलों तक जरूरी पीपीई किट, मास्क आदि चीजों को नहीं पहुंचा सका है. 30 अप्रैल तक लॉडाउन बढ़ेगा तो राज्य सरकार छोटी से छटी जगह तक पहुंच पाएगी.
03. अनुभव बनेगा ताकत
कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन के दौरान राज्यों में की जाने वाली तैयारियों में देरी से स्थिति को नियंत्रण में करने के प्रयासों में कुछ और देरी हो सकती है. कई राज्यों में महामारी से निपटने का तंत्र और समझ न होने से भी इसका असर पड़ा है. अब जबकि राज्यों को बात पूरी तरह समझ में आई है तो उनके पास लॉकडाउन बढ़ाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. 25 मार्च से 14 अप्रैल तक केबीच का अनुभव अब सरकारों के लिए ताकत का काम करेगी. लॉकडाउन पार्ट-1 में जो कमियां रह गईं वो अब पार्ट-2 में वैसा नहीं होगा.
04. डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अभी तक भारत में सामुदायिक स्तर (तीसरा चरण) पर किसी तरह का संक्रमण नहीं हो रहा है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी देश को क्लस्टर केसेज नाम की श्रेणी में रखा है, यह श्रेणी सामुदायिक स्तर पर संक्रमण की श्रेणी से नीचे आता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि महामारी रोकने के लिये लगाए गए प्रतिबंधों को जल्दबाजी में हटाने से यह जानलेवा वायरस फिर से अपना कहर बरपा सकता है. 17 दिन के लॉकडाउन के बाद भी राज्यों में नए नए मामले सामने आ रहे हैं.
05. कमी को छिपाना पड़ा मंहगा
केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे कोई बात छुपाए नहीं. अगर कहीं कोई कमी है उसे भी साफ बताया जाए. कई राज्यों में हालात इसलिए भी बिगड़े क्योंकि कुछ जिलों ने इस मामले में अच्छा काम किया लेकिन कुछ जिले ढीले रहे, जिससे लोगों की आवाजाही जारी रहने से इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल सका. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस तरह के ज्यादा मामले सामने आये हैं. अब जब 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढेगा तो सख्ती भी पहले से ज्यादा बढेगी.