आचार्य चरक कौन थे जिनका जिक्र पीएम मोदी ने मन की बात में किया? जानिए

देश में गहराए कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए आज एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. वो आज अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देश से मुखातिब हुए

By Utpal Kant | March 29, 2020 12:17 PM
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देश में गहराए कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए आज एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देश से मुखातिब हुए. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के दौरान जो भी असुविधा हुई उसके लिए माफी मांगता हूं. पीएम मोदी ने आचार्य चरक का भी जिक्र किया. क्या आपको पता है कि वो कौन थे? नहीं…तो ये खबर पढ़िए. दरअसल, पीएम मोदी मन की बात में कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों और स्वास्थयकर्मियों की तारीफ कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने कहा, आज जब मैं डॉक्टरों का त्याग, तपस्या, समर्पण देख रहा हूं तो मुझे आचार्य चरक की कही हुई बात याद आती है. आचार्य चरक ने डॉक्टरों के लिए बहुत सटीक बात कही है और आज वो हम अपने डॉक्टरों के जीवन में हम देख रहे हैं. आचार्य चरक ने कहा था, न आत्मार्थ्मनअपी कामानर्थम्अतभूत दयां प्रति. वर्तते यत्चिकित्सायां स सवर्म इति वर्रतते. यानी धन और किसी खास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए , दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है. मैं आज सभी डॉक्टरों और नर्सों को नमन करता हूं.

बता दें कि महर्षि चरक एक महान आयुर्वेदाचार्य थे. उनका जन्म आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुआ था. कुछ ग्रंथो के अनुसार इन्हें कनिष्क प्रथम के समकालीन माना जाता हैं. चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं. इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है. इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चादी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है. उनकी गणना भारतीय औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तकों में होती है. प्राचीन साहित्य में इन्हें शेषनाग का अवतार भी बताया गया है. तक्षशिला से शिक्षा हासिल करने वाले आचार्य चरक द्वारा रचित ग्रंथ ‘चरक संहिता’ आज भी वैद्यक का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है.

कुछ विद्वानों का मत है कि चरक कनिष्क के राजवैद्य थे परंतु कुछ लोग इन्हें बौद्ध काल से भी पहले का मानते हैं. चरक संहिता में व्याधियों के उपचार तो बताए ही गए हैं, प्रसंगवश स्थान-स्थान पर दर्शन और अर्थशास्त्र के विषयों की भी उल्लेख है. चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और उसे पढ़ाई लिखाई के योग्य बनाया.

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