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कोरोनाकाल में ऐसे शब्द जो बोलचाल में हो गये शामिल, इन देसी शब्दों ने भी बनायी अलग पहचान

कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में कोरेंटिन, लॉकडाउन, कंटेनमेंट जोन और सोशल डिस्टैंसिंग जैसे शब्दों का खूब इस्तेमाल हुआ़ ये शब्द आम लोगों की बोलचाल का हिस्सा बन गये

कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में कोरेंटिन, लॉकडाउन, कंटेनमेंट जोन और सोशल डिस्टैंसिंग जैसे शब्दों का खूब इस्तेमाल हुआ़ ये शब्द आम लोगों की बोलचाल का हिस्सा बन गये. हालांकि पहले भी कोरेंटिन, सैनिटाइजेशन, कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट जैसे शब्दों का प्रयोग होता रहा है, लेकिन इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ ही करते थे़ लेकिन कोरोना के दौर में इस तरह के तकनीकी शब्द जैसे : कोरेंटिन और सैनिटाइजेशन भी आम बोलचाल का हिस्सा बन गये़ लोकप्रियता के हिसाब से कैंब्रिज विवि ने कोरेंटिन को 2020 का साल का शब्द करार दिया, जबकि कोलिंस शब्दकोश ने लॉकडाउन को वर्ष का शब्द बताया. लंदन से लखनऊ और वाशिंगटन से वारंगल तक ये शब्दावली आम बोलचाल में शामिल हो गयी और मास्क पहनना, सैनिटाइजर की बोतल रखना या ‘सोशल डिस्टैंसिंग’ बनाकर रखना जीवनशैली का हिस्सा बन गया.

कोरोना वायरस या कोविड-19 या कोरोना शब्द टॉप ट्रेंड में रहे : कोरोना वायरस या कोविड-19 या कोरोना यह तीन शब्द गूगल पर वर्ष 2020 में सबसे ज्यादा सर्च किये जाने वाले शब्द की सूची में टॉप पर हैं. इस शब्द ने लोगों के जीवन की परिभाषा बदल कर रख दी. देश में 30 जनवरी 2020 को पहला केस सामने आया. और देखते ही देखते 23 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी. इसके बाद से अब तक लोग इस महामारी के भय से उभर नहीं सके हैं.

तय सुरक्षा मापदंडों का पालन कर कुछ राहत मिली है. जबकि इस महामारी के दौरान कई ऐसे शब्दों ने घर-घर अपनी जगह बनायी जो लोगों के लिए बिल्कुल नयी है. इन शब्दों से लोगों का परिचय खासकर कोरोना संकट काल में ही हुआ है. बोलचाल की भाषा में कई बड़े शब्दों का शॉर्टफॉर्म भी तैयार हुआ, जिसे लोग अब आम भाषा में इस्तेमाल करने लगे है. लोगों के बीच शब्दों के चयन व बोलचाल में इस्तेमाल को देखते हुए ‘ऑक्सफोर्ड एडवांस्ड लर्नर्स डिक्शनरी’ ने दो दर्जन से अधिक नये शब्दों को जगह दी है.

वेबिनार शब्द का चलन : कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टैंसिंग और वर्क फ्रॉम होम के समय नियमित कामकाज बंद नहीं हुए. ऐसे में लोगों के साथ होने वाली मीटिंग इंटरनेट की वजह से वर्चुअल मीटिंग में बदल गयी. वहीं सभागार में होने वाले सेमिनार वर्चुअल मोड पर होने लगे. वर्चुअली होने वाले इस सेमिनार को ही लोगों ने बोलचाल की भाषा में वेबिनार का नाम दिया. कोरोना काल में वेबिनार का चलन खूब बढ़ा है. यही कारण है कि लॉकडाउन में विचार-विमर्श अनलॉक रहे.

कोरोना वायरस : वर्ष 2020 में गूगल पर सर्च किये गये शब्दों की श्रेणी में टॉप पर ‘कोरोना वायरस’ है. इस शब्द से हम सब महामारी कोविड-19 को समझ चुके हैं. कोविड का फुलफॉर्म – को : कोरोना, वि : वायरस और डि : डिजीज यानी रोग है. जबकि इसके साथ 19 का अर्थ है 2019 में पायी गयी बीमारी.

पैनडेमिक : डिक्शनरी डॉट कॉम ने शब्द पैनडेमिक को साल 2020 का शब्द घोषित किया है. इसका अर्थ है दुनिया में कहर बरपाने वाली महामारी. कोरोना वायरस को डब्ल्यूएचओ ने पैनडेमिक यानी महामारी घोषित किया है. मार्च माह में इंटरनेट पर इस शब्द की खोज 13,500 बार की गयी और यह लगातार बढ़ता गया.

जोन और अनलॉक : कोरोना महामारी के फैलाव को सरकार ने संक्रमित क्षेत्रों को जोन में बांटा था. जहां सबसे ज्यादा मरीज पाये गये उसे रेड जोन, जहां कम था उसे येलो और वैसे इलाके जो संक्रमण रहित थे उन्हें ग्रीन जोन में रखा गया था. इसे देखते हुए ही बाद में अनलॉक यानी लॉकडाउन के सख्त नियमों में ढील दी गयी थी.

इन्क्यूबेशन : वायरस की चपेट में आने या संक्रमण के लक्ष्ण की पहचान इन्क्यूबेशन अवधि में की जा रही थी. यह वह दौर है, जब संक्रमण का असर दिखने में दो से 14 दिन तक का समय लग रहा था. संक्रमण का असर दिखने के इस अवधि को ही इन्क्यूबेशन कहा गया.

वर्क फ्रॉम होम : आम तौर पर वर्क फ्रॉम होम वैसे लोगों को दी जाती थी, जो किसी कारण वश दफ्तर न आकर घर से काम करते थे. जबकि संक्रमण के दौर ने दुनियाभर के लोगों को वर्क फ्रॉम हाेम को समझने में मदद की.

लैटिन शब्द कोरेंटिन : लैटिन शब्द कोरेंटिन का इस्तेमाल भी कोरोना काल में खूब किया गया. हिंदी भाषा में इसके लिए शब्द संगरोध मौजूद था. इसका अर्थ है संक्रामक रोग को रोकने के लिए की गयी व्यवस्था. कोरोना में इसके इस्तेमाल को देखते हुए हिंदी भाषा ने कोरेंटिन शब्द के इस्तेमाल को अपना लिया. अमूमन पॉजिटिव पाये जाने पर लोगों को कोरेंटिन किया जा रहा है.

सेल्फ कोरेंटीन : इस शब्द को वैसे लोग इस्तेमाल करते दिखे, जिन्होंने संक्रमण काल में यात्रा की थी. व्यक्ति अगर खुद में संक्रमण की जांच करना चाहते थे तब इन्क्यूबेशन की जगह सेल्फ कोरेंटिन शब्द का इस्तेमाल करने लगे.

आइसोलेशन : कोरोना वायरस के संक्रमण से दूसरों को बचाने के लिए लोगों को अलग किया गया. लोगों से अलग रखने के इस प्रक्रिया को आइसोलेशन का नाम दिया गया. कई लोग खुद को दूसरों से दूर रख सेल्फ आइसोलेशन शब्द का इस्तेमाल करने लगे.

पीपीइ किट : संक्रमण काल में स्वास्थ विभाग का काम नहीं रूका. संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर, नर्स, पुलिस कर्मी आदि के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट (पीपीइ) किट काे तैयार किया गया. बाद में आम लोगों ने भी इसके इस्तेमाल को समझा और यह बोखल की भाषा में शामिल कर लिया गया.

सैनिटाइजर ओर हैंड जेल : वायरस का संक्रमण हाथ के जरिये दूसरों तक पहुंच रहा था. ऐसे में बाजार में सैनिटाइजर व हैंड जेल स्वच्छता के लिहाज से उपलब्ध किये गये. वर्ष 2020 में इस शब्द के प्रचलन को देखते हुए ऑक्सफोर्ड एडवांस्ड लर्नर्स डिक्शनरी ने इसे नये शब्द के रूप में जगह दी.

एल्बो-बंप : कोरोना काल में एल्बो-बंप शब्द ने हाईफाई की जगह ले ली. एल्बो बम्प का अर्थ है कि सुरक्षित तौर पर कोहनी टकराकर हाय-हैलो करना. कोरोना महामारी के दौर में खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोगों ने एक-दूसरे से हाथ न मिला एल्बो-बंप का सहारा लिया.

जूमबॉम्बिंग : कोरोना काल में जब कार्यालय, सेमिनार और संगोष्ठी पर रोक लग गयी, तो वेबिनार सहाना बनकर उभरा. इस स्थिति में जूम मीटिंग, किसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अचानक कोई अनजान व्यक्ति दिखायी और सुनायी देने लगा, तो जूमबॉम्बिंग का इस्तेमाल किया गया.

कोविडियट : महामारी के दौरान सार्वजनिक सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन करते लोगों के लिए ‘कोविडियट’ शब्द का इस्तेमाल किया गया. इसे कोविड और इडियट शब्द को जोड़ कर तैयार कर बोलचाल की भाषा में प्रचलित किया गया.

कोरोनाकाल में इन देसी शब्दों ने भी बनायी पहचान : गिलोय : हालांकि गिलोय शब्द भारतीयों के लिए जाना-पहचाना है, लेकिन कोरोना काल में यह शब्द हर जुबां पर छाया रहा़ ज्यादातर लोगों ने खुद को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए आयुर्वेद की तरफ रुख किया़ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय का सेवन किया गया़ अभी भी लोग इसका सेवन कर रहे हैं.

काढ़ा : कोरोना महामारी के दौरान काढ़ा का डंका बजा रहा़ खुद को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए आम लोगों ने काढ़ा का खूब इस्तेमाल किया़ और यह शब्द आम लोगों के दिलों-दिमाग में छा गया़

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Posted by: Pritish Sahay

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