कोरोना की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) के चक्रव्यूह में यूथ ज्यादा फंसे हैं. यानी ये माना जा रहा है कि 40 साल तक के लोगों को इस बार कोरोना ज्यादा परेशान कर रहा है. जबकि आंकड़ों की मानें तो ऐसा नहीं है. 30 साल से कम या 30 साल से 40 साल तक के युवाओं के संक्रमित होने का प्रतिशत कोरोना की पहली वेब के लगभग बराबर ही है. पर हां, सबसे खतरनाक बात ये है कि इस बार युवाओं में सांस लेने की दिक्कत की शिकायत ज्यादा आ रही है, जिसकी वजह से हॉस्पिटल में आक्सीजन की मांग अचानक बढ़ी है. साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी डिमांड में उछाल देखा गया है.
इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम के सर्विलांस डाटा के आधार पर टाइम्स ने खबर दी है कि जहां कोरोना की पहली लहर में 31 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो बीमार हुए जिनकी उम्र तीस साल से कम थी. इनमें संक्रमित और भर्ती वाले दोनों मरीज शामिल हैं, वहीं कोरोना की दूसरी लहर में यानी इस बार 32 प्रतिशत यूथ संक्रमित हैं.
अब बात करें 30 साल से 40 साल के यूथ की तो दोनों की लहर में 21 प्रतिशत ही संक्रमित और हॉस्पिटाइज्ड हुए. पर एक बार जो डराने वाली है वह है पिछली बार की तुलना में इस बार अस्पताल तक पहुंचने वाले यूथ ज्यादा हैं. 19 साल तक के 5.8 प्रतिशत युवा इस बार अस्पताल पहुंच चुके हैं जबकि पिछली कोरोना वेव में सिर्फ 4.2 प्रतिशत ही थे. इसी तरह 20 से 40 साल के उम्र सीमा की बात करें तो 25.5 प्रतिशत इस बार अस्पताल पहुंच चुके हैं जबकि पिछली बार ये संख्या 23.7 प्रतिशत ही थी.
कोरोना की इस लहर में या पिछली लहर में 70 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं जिनकी उम्र 40 से अधिक है. ये दर्शाता है कि खतरा कोरोना से अभी भी ज्यादा उम्रदराज लोगों को ही है.
आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर में 47.5 प्रतिशत ऐसे मरीज मिले जिनको सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई और उन्हें आक्सीजन सिलेंडर लगाना पड़ा. वहीं पहली लहर में ये संख्या 41.7 प्रतिशत ही थी.