कोरोना की दूसरी लहर का ग्रामीण भारत में रहा प्रकोप, ग्रामीण क्षेत्रों आये 53 फीसदी नये मामले
Coronavirus Second wave in Rural India: कोरोना वारस की दूसरी लहर की चपेट में शहरी क्षेत्रों के ग्रामीण क्षेत्र आये. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट की ओरे जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि कोरोना मई के छह दिनों में जो सबसे अधिक दैनिक मामले आये उनमें भारत के ग्रामीण जिलों का सबसे अधिक योगदान था.
कोरोना वारस की दूसरी लहर की चपेट में शहरी क्षेत्रों के ग्रामीण क्षेत्र आये. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट की ओरे जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि कोरोना मई के छह दिनों में जो सबसे अधिक दैनिक मामले आये उनमें भारत के ग्रामीण जिलों का सबसे अधिक योगदान था.
विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर जारी किये गये रिपोर्ट में CSE के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने देश में 53 फीसदी नये मामले और 52 फीसदी मौतें ग्रामीण जिलों से दर्ज की गयी.
सीएसई ने नई सांख्यिकीय रिपोर्ट स्टेज ऑफ इंडियाज इनवायरमेंट इन फिंगर्स 2021 में कहा कि कोरोना महामारी ने देश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. इसने ग्रामीण भारत में महामारी के चिंताजनक हालात को दिखाया तो शहरी क्षेत्रों में भारत की तैयारियों की दयनीय स्थिति को दिखाया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा का मजबूत करने की जरूरत है. ग्रामीण भारत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 76 फीसदी से अधिक डॉक्टर्स , 56 फीसदी से अधिक रेडियोग्राफर्स और 35 फीसदी से अधिक लैब तकनीशियनों की आवश्यकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मई महीने की 26 दिनों में जो विश्व स्तर पर मामले दर्ज किये गये. उनमें हर दूसरा मामला भारत का था और हर तीसरी मौत भारत में हुई थी. जो ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के दूसरी लहर के कारण हो रही थी. इसे अगर देखे तो दुनिया में दर्ज किया गया हर चौथा मामला ग्रामीण भारत से था.
सीएसीई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि यह समय नीतिगत निर्णय लेने का है और संकट को खत्म करने के लिए आंकडों के अनुरुप काम करने का है. उन्होंने कहा कि आज यह माना जा रहा है कि चूक हुई है. क्योंकि दूसरी लहर की भविष्यवाणी के बीच देश की आबादी का प्रतिरक्षा सर्वेक्षण का पर्याप्त डाटा मौजूद नहीं था.
सीएसई ने बॉयोमेडिकल कचरे का भी हवाला दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोमा महामारी के कारण देश में अप्रैल और मई 2021 के बीच कोरोना वायरस के चलते बॉयोमिडकल कचरे में 46 फीसदी वृद्धि हुई है.
क्योंकि इस समय इस कचरे का निपटारण बंद हो गया था. जबकि यह ऐसा समय था जब देश के अस्पतालों में कोरोना से जूझ रहे मरीज हर रोज मई के महीने में दो लाख किलो कचरा उत्पन्न कर रहे थे. जो भारत के के नॉन कोविड बॉयोमेडिकल वेस्ट का 33 फीसदी है.
Posted By: Pawan Singh