AIIMS Study On Covid In HIV AIDS Patients कोरोना की तीसरी लहर के आने की चर्चा के बीच एम्स (AIIMS) की स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के एक पूर्व प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, पिछले साल कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमण सामान्य लोगों के मुकाबले एचआईबी/एड्स (HIV/AIDS) से पीड़ित मरीजों में कोरोना का असर कम पाया गया है.
इससे पहले एम्स की प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया था कि 97 फीसदी मरीजों में कोरोना के हल्के या कोई लक्षण नहीं थे. दक्षिण कोरिया के एक अध्ययन के मुताबिक एचआईवी संक्रमितों में 60 फीसदी से ज्यादा मरीजों को जांच के समय कोई लक्षण नहीं थे. न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि एचआईवी से पीड़ित 164 लोगों में एंटी प्रिवैलेंस की दर 14 फीसदी पाई गई है. इन सभी लोगों ने एंटी-रेट्रो वायरल थेरेपी के लिए एम्स अस्पताल से संपर्क किया था. इस अध्ययन को medRxiv पर अपलोड किया गया है, जो एक फ्री ऑनलाइन आर्काइव और डिस्ट्रीब्यूशन सर्वर है.
एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे लोगों में एंटीबॉडीज के लोअर प्रिवैलेंस पाए जाने के कारणों पर अध्ययन में कहा गया है, हो सकता है कि एड्स से पीड़ित लोगों के कोविड संक्रमित होने के बाद एंटीबॉडीज बनी ही नहीं हो या फिर बनी हो तो ज्यादा दिन तक शरीर में बरकरार नहीं रह पाई हो. रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में सितंबर और नवंबर के दौरान जब एचआईवी से पीड़ित लोगों के सैंपल इकट्ठा किए गए, उस समय दिल्ली में सीरो पॉजिटिविटी 25.7 प्रतिशत थी.
एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर नीरज निश्चल के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली लहर के बाद हमने आंकड़ा एकत्रित किए हैं, हमें नहीं पता कि दूसरी लहर में क्या हुआ. हालांकि, एचआईवी संक्रमितों में संक्रमण की दर का कम होना इसलिए संभव भी है कि उन लोगों ने कोविड व्यवहार का पालन किया हो.
गौर हो कि नवंबर में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद दिल्ली की आबादी में सीरो प्रिवैंलेस की दर में तेजी से इजाफा हुआ था और जनवरी के आसपास यह 56 फीसदी था. हालांकि, कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफे के बाद अप्रैल में होने वाला सर्वे रद्द कर दिया गया. एम्स की एक और स्टडी में दावा किया गया है कि अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ने से पहले मार्च में दिल्ली के शहरी इलाकों में सीरो प्रिवैलेंस 74.7 फीसदी पाया गया था. स्टडी में यह भी पाया गया कि ज्यादातर मरीजों में कोविड के या तो हल्के लक्षण थे या फिर कोई लक्षण नहीं थे.