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Coronavirus Third Wave : इस तरह रुकेगी कोरोना की तीसरी लहर ? जानें कब है आने की आशंका और क्या कहते हैं विशेषज्ञ

Coronavirus Third Wave in India : देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो इस दौरान कोरोना के 4 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए हैं. देश में पांचवीं बार चार लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आए हैं. covid third wave india, third wave in india, covid 3rd wave, third covid wave in india, coronavirus third wave in india, when will india see third wave, will India see third wave

Coronavirus Third Wave in India : देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो इस दौरान कोरोना के 4 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए हैं. देश में पांचवीं बार चार लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आए हैं. भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के विनाशकारी प्रभावों के बीच विशेषज्ञों ने महामारी की तीसरी लहर की आशंका जताते हुए आगाह किया है.

विशेषज्ञों ने कहा है कि यदि लोग कोरोना-उपयुक्त व्यवहार का पालन करें और आबादी के बड़े हिस्से को कोविड-19 रोधी वैक्सीन लगा दिया जाए, तो अगली लहर अपेक्षाकृत कम गंभीर हो सकती है. यहां चर्चा कर दें कि कुछ महीनों में संक्रमण के मामलों में तेज़ इजाफा नजर आया है, जिस वजह से महामारी की दूसरी लहर, 2020 में आई पहली लहर से भी बदतर हो गई है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : कई विशेषज्ञों का मानना है कि पहली लहर में मामले अपेक्षाकृत कम होने के चलते लोग लापरवाह हो गए, जो संक्रमण के फिर बढ़ने का संभवत: कारण बना. वहीं अन्य का मानना है कि वायरस में आए बदलाव और स्वरूप अधिक संक्रामक हैं. गौर हो कि केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने पिछले बुधवार को कहा था कि तीसरी लहर अवश्य आएगी और नई लहरों के लिए तैयार रहना जरूरी है, लेकिन दो दिन बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि निगरानी, नियंत्रण, इलाज एवं जांच संबंधी बताए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने से बीमारी के बिना लक्षण वाले संचरण को रोका जा सकता है.

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रोग प्रतिरोधक क्षमता भी हो गई थी कम: विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ महीनों में जब प्राकृतिक रूप से या वैक्सीनेशन की मदद से विकसित की गई रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाएगी, तो गाइडलाइंस का पालन करके ही लोग स्वयं को संक्रमण बचा सकेंगे. दिल्ली के ‘जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान’ के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि इस साल के शुरू में जब नए मामले कम होना शुरू हो गए तो लोग ऐसा व्यवहार करने लगे कि मानो कोई वायरस है ही नहीं. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो गई थी. उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की, उन्होंने मास्क लगाना बंद कर दिया, जिससे वायरस को दोबारा हमला करने का मौका मिला.

आगे डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि हमने तीसरी लहर की आशंका जताई है, लेकिन हम यह सटीक रूप से नहीं कह सकते हैं कि यह कब आएगी और कितनी गंभीर होगी. अगर लोग आने वाले महीनों में कोरोना-उपयुक्त व्यवहार का पालन करें और हम बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगा पाएं तो तीसरी लहर कम गंभीर हो सकती है. दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस में बदलाव आना सामान्य घटनाक्रम है और यह परिवर्तन आम तौर पर रोकथाम, उपचार या वैक्सीनेशन को प्रभावित नहीं करते हैं.

वायरस शरीर में अपनी प्रति बनाने के दौरान करता है बदलाव : कल्याणी में ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स’ (एनआईबीएमजी) के निदेशक और बेंगलोर के भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर डॉ सौमित्रा दास ने बताया कि हर वायरस शरीर में अपनी प्रति (कॉपी) बनाने के दौरान बदलाव करता है, लेकिन उसकी प्रतियों में खामियां होती हैं और वायरस की हर प्रति उसकी सटीक प्रति नहीं हो सकती हैं. वायरस के स्वरूप में छोटा या बड़ा, कोई भी बदलाव म्यूटैशन (बदलाव) कहलाता है. एक वायरस में ऐसे हजारों बदलाव होते हैं.

विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि वायरस का हर बदलाव चिंताजनक नहीं होता है और वायरस का जीनोम अनुक्रमण इसलिए किया जाता है ताकि वायरस में आए उन बदलावों पर नजर रखी जा सके जो उसे अधिक खतरनाक बना सकते हैं. नोवल कोरोना वायरस में आए बदलावों से इस तरह का कोई परिवर्तन नहीं आया है जिससे इलाज या वैक्सीनेशन में बदलाव की जरूरत हो, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वायरस में आया कोई बदलाव वैक्सीन या दवाई की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है तो उनमें तेजी से सुधार करना प्रौद्योगिकी रूप से संभव है.

बहुत तेजी से फैला कोरोना संक्रमण : जोधपुर में राष्ट्रीय असंचारी रोग कार्यान्वयन अनुसंधान संस्थान-भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(एनआईआईआरएनसीडी-आईएमसीआर) के निदेशक और सामुदायिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ अरूण शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण इतनी तेज़ी से फैला कि वैज्ञानिकों को इसके सभी बदलावों की पहचान के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि वायरस में आए परिवर्तन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच सकते हैं और इसके खिलाफ विकसित किए गए प्रभावी टीके या दवाई के प्रयासों को बेकार कर सकते हैं.

Posted By : Amitabh Kumar

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