कोरोना के इलाज का खर्च आया 1.52 करोड़ रुपये, दुबई के अस्पताल ने भारतीय श्रमिक का बिल माफ किया, पढ़ें- दरियादिली की कहानी
coronavirus , Coronavirus Treatment: दुबई के एक अस्पताल ने तेलंगाना के एक श्रमिक का 1.52 करोड़ रुपये का बिल माफ कर दिया. उसका वहां कोविड-19 का इलाज किया गया था. इतना ही नहीं मदद के तौर पर विमान से भारत भेजा और 10 हजार रुपये भी दिए. ऐसे वक्त में जब कोरोना महामारी संकट छाया हुआ है, तब इस अस्पताल की दरियादिली सोशल मीडिया पर खूब चर्चा है.
coronavirus , Coronavirus Treatment: दुबई के एक अस्पताल ने तेलंगाना के एक श्रमिक का 1.52 करोड़ रुपये का बिल माफ कर दिया. उसका वहां कोविड-19 का इलाज किया गया था. इतना ही नहीं मदद के तौर पर विमान से भारत भेजा और 10 हजार रुपये भी दिए. ऐसे वक्त में जब कोरोना महामारी संकट छाया हुआ है, तब इस अस्पताल की दरियादिली सोशल मीडिया पर खूब चर्चा है.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, तेंलगाना के जगतियाल जिले के 42 वर्षीय ओदनाला राजेश का दुबई अस्पताल में 80 दिनों तक इलाज किया गया और वह बुधवार तड़के हैदराबाद पहुंचा था. अपने गांव रवाना हो गया. उसे 23 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद दुबई स्थित दुबई अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 80 दिनों के उपचार के बाद राजेश स्वस्थ हुए. इसके बाद अस्पताल ने 762555 दिरहम( करीब 1.52 करोड़ रुपये) का बिल थमाया गया, जो चुकाने की उनकी हैसियत नहीं थी.
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राजेश को उस अस्पताल में भर्ती कराने वाले दुबई में गल्फ वर्कर्स प्रोटेक्शन सोसायटी के प्रेसीडेंट गुंडेल्ली नरसिम्हा ने इस मामले से दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में वालेंटियर सुमंथ रेड्डी को अवगत कराया. रेड्डी और बीएपीएस स्वामीनारायण ट्रस्ट के अशोक कोटेचा ने भारतीय वाणिज्य दूतावास के वाणिज्य-दूत हरजीत सिंह से गरीब श्रमिक की मदद करने का अनुरोध किया. रजीत सिंह ने दुबई अस्पताल के प्रबंधन को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर बिल माफ करने का अनुरोध किया.
इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अस्पताल ने बिल माफ कर दिया. अशोक कोटेचा ने ओडाला राजेश और उसके साथी डी. कन्कैया की मुफ्त में भारत लौटने की व्यवस्था की और उन्हें जेब खर्च के लिए 10 हजार रुपये दिए.
हैदराबाद आने पर राजेश को 14 दिन के लिए कोरेंटिन भेज दिया गया. भारत सरकार के अधिकारियों और दुबई अस्पताल के इस पहल की हर ओर चर्चा की जा रही है. क्योंकि अस्पताल का इतना बड़ा बिल चुकाना एक श्रमिक के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
Posted By: Utpal kant