राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने मंगलवार को दावा किया कि देशभर के चार शहरों में किये गये क्लीनिकल परीक्षण में ‘पंचगव्य और आयुर्वेद’ उपचार के माध्यम से COVID-19 के 800 मरीजों को ठीक किया गया.
कथीरिया ने ‘गऊ विज्ञान’ पर अगले महीने आयोजित की जाने वाली पहली राष्ट्रीय परीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि जून और अक्टूबर 2020 के बीच राज्य सरकारों और कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की साझेदारी में राजकोट और बड़ौदा (गुजरात), वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और कल्याण (महाराष्ट्र) में 200-200 मरीजों पर ‘क्लीनिकल ट्रायल’ किये गये थे.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत आने वाले आरकेए का गठन केन्द्र द्वारा फरवरी, 2019 किया गया था. कथीरिया ने पत्रकारों से कहा, कामधेनु आयोग क्लीनिकल ट्रायल में भागीदार था… जल्द ही, हम आयुष मंत्रालय को इन परीक्षणों के डाटा सौंपने जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उपचार की खुराक में ‘पंचगव्य’ (गोमूत्र, गाय का गोबर, दूध, घी और दही का मिश्रण), जड़ी-बूटी ‘संजीवनी बूटी’ और हर्बल मिश्रण ‘काढ़ा’ शामिल हैं. उन्होंने कहा कि परीक्षण आयुष मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार किए गए थे. उन्होंने कहा कि COVID-19 से संक्रमित लोग अपनी इच्छा से परीक्षणों में शामिल हुए थे और आवश्यक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये थे.
उन्हें संबंधित स्थानों पर मेडिकल कॉलेजों में भर्ती कराया गया, जहां परीक्षण किये गये. कथीरिया ने कहा कि उदाहरण के लिए, वाराणसी में चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस-बीएचयू) और राजकोट में आयुर्वेद क्योर कोविड केंद्र में भर्ती COVID-19 रोगियों पर परीक्षण किए गये. यह पूछे जाने पर कि क्या आयुर्वेदिक उपचार एक निवारक उपाय था, उन्होंने कहा, यह रोगनिवारक था. उन्हें कोई एलोपैथी दवा नहीं दी गई थी.
गौरतलब है कि भारत के औषधि नियामक ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड COVID-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को रविवार को मंजूरी दे दी थी.
Posted By – Arbind kumar mishra