Coronavirus Vaccine: वैक्सीन को लेकर क्या है दुनियाभर में स्थिति और भारत कैसे है हर मामले में आगे
Coronavirus Vaccine Update: कोरोना वायरस से परेशान पूरी दुनिया को अब इस महामारी को कंट्रोल करने के लिए एक सफल वैक्सीन का इंतजार है. कोरोना वैक्सीन तैयार करने के अंतिम चरण में पहुंच चुकी दुनिया की कई नामी कंपनियां अपनी दवा 90 से 95 फीसदी तक असरदार होने का दावा कर रही हैं. हालांकि अभी तक ऐसी कोई स्वतंत्र रिसर्च सामने नहीं आई है जिसमें यह कहा गया हो कि कोरोना की वैक्सीन 50 फीसदी से ज्यादा कारगर होगी.
Coronavirus Vaccine Update: कोरोना वायरस से परेशान पूरी दुनिया को अब इस महामारी को कंट्रोल करने के लिए एक सफल वैक्सीन का इंतजार है. कोरोना वैक्सीन तैयार करने के अंतिम चरण में पहुंच चुकी दुनिया की कई नामी कंपनियां अपनी दवा 90 से 95 फीसदी तक असरदार होने का दावा कर रही हैं.
अमेरिकी कंपनी फाइजर-बायो एनटेक, मॉडर्ना , रूस की स्पूतनिक-5, चीन की सिनोवैक बायोटेक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एस्ट्राजेनका जैसी कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है. बता दें कि अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन के नतीजे हाल ही में निकाले गए थे, इसमें वैक्सीन को 90 फीसदी सफल पाया गया था.
इस वैक्सीन पर नीति आयोग के सदस्य और कोरोना वैक्सीन जुटाने के कामों में जुटी टीम के अध्यक्ष वीके पॉल ने कहा कि फाइजर की वैक्सीन भारत लाना बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके लिए कोल्ड चेन स्टोरेज का इंतजाम करना होगा. बता दें कि फाइजर की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री तापमान पर ही स्टोर रखा जा सकता है, भारत के दूर-दराज के इलाकों में ऐसी सुविधाओं की अभी कमी है.
इधर, भारत में हैदराबाद आधारित दवा कंपनी भारत बायोटेक ने अपनी संभावित कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सिन (COVAXIN) के तीसरे फेज के ट्रायल शुरू कर दिए हैं. बताया गया है कि कोवैक्सिन का ट्रायल भारत में किसी भी कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल है. खास बात यह है कि यह भारत में निर्मित पहली कोरोना वैक्सीन है, जो ट्रायल की तीसरी स्टेज तक पहुंची है.
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भारत में भले ही अभी एक या दो वैक्सीन पर ही काम चल रहा है मगर भारत एक मामले में सबसे आगे है. और वो मामला है उत्पादन का. भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक देश है. ऐसे में माना जा रहा है कि कोई भी देश वैक्सीन बनाएगा तो उसकी आपूर्ति भारत में आसानी से होगी. रिपोर्ट के मुताबिक देश की अधिकतर आबादी को टीका लगाने के लिए भारत को 170 करोड़ डोज की जरूरत होगी. भारतीय कंपनियां 240 करोड़ डोज बना सकती हैं.