Coronavirus Outbreak : जिन देशों ने भारत के खिलाफ उगला जहर, आज मांग रहे कोरोना पर मदद
पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देश जो कई मौके पर भारत के खिलाफ रहे, विरोध करने का मौका तलाशते रहे वही अब भारत के आगे हाथ फैलाये खड़े हैं. भारत ने ऐसे मौके पर उन देशों की भी मदद की है. भारत के पास कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए एक अहम दवा है.
नयी दिल्ली : पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देश जो कई मौके पर भारत के खिलाफ रहे, विरोध करने का मौका तलाशते रहे वही अब भारत के आगे हाथ फैलाये खड़े हैं. भारत ने ऐसे मौके पर उन देशों की भी मदद की है. भारत के पास कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए एक अहम दवा है.
Also Read: Coronavirus Outbreak: जानें क्यों ट्रंप ने Hydroxychloroquine टैबलेट के लिए पीएम मोदी से लगायी गुहारदवा का नाम है hydroxychloroquine टैबलेट्स. दुनिया भर से इस दवा की मांग बढ़ रही है. ऐसे मौके पर कई ऐसे देश भी भारत से इस दवा की मांग कर रहे हैं जिन्होंने मौका मिलने पर भात का साथ नहीं दिया है.
भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का बड़ा फैसला लिया था. इस फैसले के बाद भारत के खिलाफ बयानबाजी करने वाले देश मलेशिया ने भी भारत से मदद की अपील की है. बड़प्पन दिखाते हुए भारत ने उन देशों की भी मदद के लिए तैयार है जो मौके पर साथ नहीं थे.
आपको याद होगा मलेशिया उन देशों में शामिल है जिसने आतंक को बढ़ावा देने वाले जाकिर नाईक को भी शरण दे रखा है. नेशनल इनवेस्टिगेशन एजंसी (NIA) को एंटी-टेरर केस और एनफोर्समंट डायरेक्ट्रेट (ED) को मनी-लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में नाइक की तलाश है. मलेशिया ने प्रत्यर्पण से इनकार कर दिया था.नाइक पिछले चार सालों से मलेशिया में रह रहा है.
भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा तनातनी का रिश्ता रहा है. पाकिस्तान ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता जिससे भारत की परेशानी बढ़े. अब कोरोना संक्रमण के बाद भारत से मदद की मांग कर रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से इसी दवा की मांग की है.
यह दवा ब्रिटेन को भी भेजी जा रही है. ब्रिटने भी उन देशों में शामिल है जिसने धारा 370 हटाये जाने के बाद तुरंत मांग की थी कि एक इसकी जांच हो. यहीं के लेबर पार्टी ने एक इमर्जेंसी प्रस्ताव पास किया कि इंटरनेशनल ऑब्जर्वर कश्मीर जाएं.
इस मामले पर भारत ने उस वक्त ब्रिटेन को जवाब देते हुए कहा था कि यह घरेलू मसला है. इसके अलावा चीन, ईरान, मलयेशिया, टर्की जैसे देशों ने खुले तौर पर विरोध किया था. CAA का विरोध करने वालों में मलयेशिया, टर्की, बांग्लादेश जैसे देश शामिल थे.