चेन्नई : युवा चेतना के तत्वावधान में सोमवार को आरएपुरम स्थित मेयर रामनाथन चेट्टियार हॉल में आदि गुरु शंकराचार्य जयंती का आयोजन किया गया. आयोजन का उद्घाटन स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने किया. इस मौके पर मुख्य अतिथि मद्रास हाइकोर्ट के मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश जस्टिस टी. राजा, विशिष्ट अतिथि मद्रास हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आर. महादेवन और इलाहाबाद हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केजे ठाकर मौजूद थे.
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने आदि शंकराचार्य के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं पुष्पांजलि अर्पित करके किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने की. अपने संबोधन में मुख्य अतिथि मद्रास हाइकोर्ट के मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश जस्टिस टी. राजा ने कहा कि जिस तरह प्रत्येक भारतवासी 15 अगस्त 1947 नहीं भूला है. उसी तरह भारत का प्रत्येक नागरिक आदि गुरु शंकराचार्य को भी कभी नहीं भूलेगा.
जस्टिस टी राजा ने आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय दिया और बताया कि आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी ग्राम में हुआ था. वे संस्कृत के विद्वान, उपनिषद के व्याख्याता और धर्म प्रचारक थे. उन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की. उन्होंने पूरे भारत में भारतीय संस्कृति की रक्षा का अद्भूत प्रयास किया. आदि शंकराचार्य प्रत्येक भारतवासी के हृदय में बसते है. जस्टिस राजा ने अभिषेक ब्रह्मचारी एवं युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह को कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया.
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की शंकराचार्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक 32 वर्ष की आयु में भारत माता के विस्तार के लिए अद्भूत कार्य किया. इस मौके पर मद्रास हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आर. महादेवन ने कहा कि शंकराचार्य के रास्ते पर हम सभी को चलना चाहिए. इलाहाबाद हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केजे ठाकर ने कहा कि वे उत्तर से दक्षिण शंकराचार्य को श्रद्धांजलि देने आये है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह ने कहा आदि शंकराचार्य भारत के प्रतीक थे. उनकी उपलब्धि को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ में उनकी मूर्ति स्थापित कराया जो ऐतेहासिक कदम है. देश के नौजवानों को आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेकर भारत माता के वैभव को बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए.