नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने यहां निजामुद्दीन मरकज के रिहाइशी इलाके को खोलने के लिए दिल्ली पुलिस को दिए गए आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी. कोविड-19 दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद इस परिसर को बंद कर दिया गया था .
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर यह आदेश दिया. दिल्ली पुलिस ने 11 सितंबर को एक मजिस्ट्रेटी अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था कि वह पांच दिन में परिसर का निरीक्षण करे और तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के परिवार को निजामुद्दीन मरकज के रिहाइशी इलाके की चाबी सौंपे. यह अवधि बुधवार को समाप्त हो गई.
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सत्र अदालत ने साद की मां खालिदा को भी नोटिस जारी किया और उनसे पुलिस की याचिका पर आठ अक्टूबर तक जवाब देने को कहा. खालिदा की याचिका पर ही मजिस्ट्रेटी अदालत ने आदेश जारी किया था. निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में विदेशी नागरिकों समेत हजारों लोगों के हिस्सा लेने के बाद साद और छह अन्य के खिलाफ 31 मार्च को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कई लोग बाद में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. मजिस्ट्रेट की अदालत ने खालिदा और उनके परिवार के सदस्यों को एक हलफनामा देने को कहा था कि वे किसी भी तरह से मामले की जांच में बाधा नहीं पैदा करेंगे और परिसर के रिहायशी हिस्से का इस्तेमाल केवल रहने के लिए किया जाएगा तथा वे मरकज के किसी अन्य हिस्से में नहीं जाएंगे. अदालत ने 11 सितंबर को सुनाए गए आदेश में कहा था कि देश के हर नागरिक को संविधान के तहत जीवन एवं आजादी का अधिकार हासिल है और रिहायशी परिसर तक पहुंच का अधिकार भी इन्हीं अधिकारों में समाहित है .
निजामुद्दीन के थाना प्रभारी की शिकायत पर तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद कंधालवी और छह अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. महामारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून (2005), विदेशी कानून और भारतीय दंड संहिता की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था .
Posted By – Pankaj Kumar Pathak