कोर्ट ने कहा,कोरोना के इलाज के लिए विदेशी दवाओं पर निर्भर ना रहें

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की एक पीठ ने कहा, टोसिलीजुमैब जैसी दवा की जगह कौन सी दवा का इस्तेमाल किया जाये सरकार को यह बताना चाहिए. उच्च न्यायालय ने कहा, “भारत सरकार ने ऑन रिकॉर्ड यह मत व्यक्त किया है कि इटोलीजुमैब, डेक्सामेथासोन और मिथाइलप्रेडनीसोलोन दवाएं टोसिलीजुमैब के समकक्ष हैं या बेहतर हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2021 2:53 PM

देश में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा भारत को विदेशों से भी लगातार मदद मिल रही है. विदेशों आ रही मदद को भी लोगों की सहायता के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से कहा, विदेशी उत्पादकों की दवाओं जैसे- टोसिलीजुमैब, के विकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने को कहा है.

Also Read:
एक व्यस्क की तुलना में संक्रमित बच्चों से कोरोना संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा, शोध में हुआ खुलासा

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की एक पीठ ने कहा, टोसिलीजुमैब जैसी दवा की जगह कौन सी दवा का इस्तेमाल किया जाये सरकार को यह बताना चाहिए. उच्च न्यायालय ने कहा, “भारत सरकार ने ऑन रिकॉर्ड यह मत व्यक्त किया है कि इटोलीजुमैब, डेक्सामेथासोन और मिथाइलप्रेडनीसोलोन दवाएं टोसिलीजुमैब के समकक्ष हैं या बेहतर हैं.

Also Read: मंगल ग्रह से नासा के हेलीकॉप्टर की आवाज और वीडियो जारी, देखें

सरकार को आम जनता की धारण बदलने का प्रयास करना चाहिए. कोविड-19 के मरीजों को आराम मिल सकता है.” अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि लोगों को आयातित दवाओं पर अत्यधिक निर्भरता से बचना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि जीवन रक्षक दवाओं से लाभ ना बनायें.

Next Article

Exit mobile version