Coronavirus : अस्पतालों में गैर-कोविड मरीजों के आपात-उपचार के सरकार के उपायों से अदालत संतुष्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोनावायरस के संक्रमण के दबावों के बावजूद गैर कोविड-19 मरीजों की डायलिसिस, केमोथैरेपी और गर्भावस्था सहित तमाम आपात उपचारों के लिये केन्द्र और दिल्ली सरकार की तरफ से अस्पतालों में की गयी व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया है.

By Mohan Singh | April 20, 2020 6:33 PM
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नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोनावायरस के संक्रमण के दबावों के बावजूद गैर कोविड-19 मरीजों की डायलिसिस, केमोथैरेपी और गर्भावस्था सहित तमाम आपात उपचारों के लिये केन्द्र और दिल्ली सरकार की तरफ से अस्पतालों में की गयी व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया है.

न्यायमूर्ति जे आर मिड्ढा और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि अगर मेडिकल सुविधाओं के बारे में किसी नागरिक को कोई समस्या है तो वह हेल्पलाइन और व्हाट्सऐप के माध्यम से इसके समाधान के लिये सक्षम प्राधिकार से संपर्क कर सकता है. अदालत ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे इन हेल्पलाइन का अधिक से अधिक प्रचार करें और नागरिकों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराते रहें.

पीठ ने महामारी के इस दौर मे विभिन्न अस्पतालों और चिकित्सालयों और स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों में चिकित्सकों, नर्सो, सहायक मेडिकल स्टाफ और उनके साथ संबद्ध दूसरे कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण की सराहना की. पीठ ने इस समय प्रशासनिक कार्यो में पुलिस, सशस्त्र बल, अर्द्धसैनिक बलों जैसे सरकार की दूसरी एजेन्सियों के शानदार काम की सराहना की.

पीठ ने कहा कि महामारी पर काबू पाने के लिये आज हर क्षेत्र में, चाहें सरकारी हो या निजी, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो या प्रशासनिक क्षेत्र सभी अपनी अपनी तरह से योगदान कर रहे हैं. हर दिन एक नयी चुनौती के साथ आ रहा है और इस समय चिकित्सा सुविधा और सहायता उपलब्ध कराने में जुटे मेडिकल स्टाफ या सरकारी एजेन्सियों के प्रयासों को कमतर आंकने का कोई भी प्रयास अनुचित ही नहीं होगा बल्कि यह कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे लोगों को हतोत्साहित करने वाला होगा.

अदालत ने कोविड-19 से इतर दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को चिकित्सा सुविधा और उपचार प्रदान करने के लिये दायर याचिका का निबटारा करते हुये यह फैसला सुनाया। यह याचिका कानून के छात्र यश अग्रवाल और चित्राक्षी ने दायर की थी. याचिका में दावा किया गया था कि अधिकतर अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त रोगियों का उपचार कर रहे हैं जबकि डायलिसिस और केमोथेरेपी जैसे समयबद्ध उपचार के लिये किडनी और कैंसर के मरीज भी हैं जिनकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

याचिका में दावा किया गया था कि अस्पताल आपात उपचार वाले अधिकतर मामलों को नहीं देख रहे हैं और डायलिसिस तथा केमोथेरेपी की जरूरत वाले मरीजों को सेवायें प्रदान करने से इंकार कर रहे हैं. इसी तरह, गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था, इसके बाद संतान को जन्म देने के समय और फिर उसकी देखभाल के लिये चिकित्सीय सलाह ओर उपचार की आवश्यकता है

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