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कोरोना के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट पर काफी प्रभावी है कोवैक्सीन, शीर्ष अमेरिकी शोध संस्थान का दावा

नयी दिल्ली : स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की ओर से तैयार किये गये कोरोना का टीका कोवैक्सीन (Covaxin) कोरोनावायरस के अल्फा और डेल्डा वेरिएंट पर काफी असरदार है. अमेरिका के एक शीर्ष संक्रामक रोग संस्थान ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) ने यह बात कही है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक शोध संस्थान ने दावा किया है कि उनके द्वारा की गयी आर्थिक मदद से एक एड्जुवेंट तैयार किया है तो कोवैक्सीन को वायरस पर और भी अधिक प्रभावकारी बनाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2021 11:59 AM
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नयी दिल्ली : स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की ओर से तैयार किये गये कोरोना का टीका कोवैक्सीन (Covaxin) कोरोनावायरस के अल्फा और डेल्डा वेरिएंट पर काफी असरदार है. अमेरिका के एक शीर्ष संक्रामक रोग संस्थान ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) ने यह बात कही है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक शोध संस्थान ने दावा किया है कि उनके द्वारा की गयी आर्थिक मदद से एक एड्जुवेंट तैयार किया है तो कोवैक्सीन को वायरस पर और भी अधिक प्रभावकारी बनाता है.

कोवैक्सीन में इस्तेमाल सहायक – Alhydroxiquim-II – को भारतीय-अमेरिकी सुनील डेविड द्वारा स्थापित और संचालित कंपनी, लॉरेंस, कैनसस के वीरोवैक्स द्वारा विकसित किया गया है. यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) ने कहा कि परियोजना को विशेष रूप से इसके सहायक विकास कार्यक्रम द्वारा समर्थित और वित्त पोषित किया गया था.

एनआईएआईडी के निदेशक एंथनी फौसी ने कहा कि एक वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एनआईएआईडी समर्थन के साथ विकसित एक एड्जुवेंट सहायक के तौर पर वैक्सीन का हिस्सा है. इससे भारत में लोगों के लिए एक प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो सका है.

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फौसी ने बताया कि डेविड 2009 से एनआईएआईडी एडजुवेंट प्रोग्राम के साथ काम कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने 20 साल के कंसास विश्वविद्यालय और मिनेसोटा विश्वविद्यालय के संकाय पर शोध और शिक्षण के बाद कंपनी की स्थापना की थी. उन्होंने नोवेल अणुओं की खोज करने पर ध्यान केंद्रित किया है जो जन्मजात प्रतिरक्षा रिसेप्टर्स को सक्रिय करते हैं और उन्हें वैक्सीन सहायक के रूप में इसतेमाल किया जा सकता है.

बता दें कि भारत के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरूआत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के साथ हुई थी. कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण परिणाम अभी सामने नहीं आने के कारण कोवैक्सीन को अमेरिका में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है. कंपनी इसेक लिए प्रयास कर रही है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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